tag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post697311013812340461..comments2023-11-20T02:15:10.107-08:00Comments on voyager: मुझे कोई समझाए कि ये दुनिया आखिर भगवान ने कैसे बनाई : आइंस्टीनSandeep Nigamhttp://www.blogger.com/profile/06769468742646278195noreply@blogger.comBlogger63125tag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-58872600031891856722020-08-18T03:41:29.248-07:002020-08-18T03:41:29.248-07:00बढ़िया लगा। आइंस्टीन या कुछ महान लोगों के अलावा और ...बढ़िया लगा। आइंस्टीन या कुछ महान लोगों के अलावा और किसी व्यक्ति का अनुभव कम पढ़ने का या सुनने का मिलता हैjayshankar chaubeyhttps://www.blogger.com/profile/02016693379014207190noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-53941352749270218302020-02-25T02:31:13.600-08:002020-02-25T02:31:13.600-08:00बहुत अच्छा हैबहुत अच्छा हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08302559413695405577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-11350332704999948622015-03-17T04:25:56.486-07:002015-03-17T04:25:56.486-07:00आइस्टीन अगर आप ज़िंदा होते तो आप इस कथन से समझ जात...आइस्टीन अगर आप ज़िंदा होते तो आप इस कथन से समझ जाते की भगवान ने दुनिया कैसी बनाई,<br />(१) एक नाग जैसा चाकरी मार के बैठता है उस तरह से वह उस नाग की गोलाई है उस नाग के बीच में लोहे के अण्ड नुमा कुण्ड है जिसमे आग जल रही है उस आग से उतपन गर्मी को चकौर एवं खाली टैंक में जमा किया जाता है उस टैंक पर मेरु यंत्र के भाति विशाल पहाड़ स्थापित है फिर वह तेज टैंक से निकलकर उस विशाल पर्वत में इकट्ठा होता है यह सब प्रक्रिया समुन्द्र के अंदर चलती है फिर वह वाष्प चकौर टैंक के द्वारा उस विशाल पर्वत में इकट्ठा होता हुआ है पानी के निचे इकट्ठा होता है जिससे समुन्द्र में लहर बनती है जब वह वाष्प पानी के शक्ति से भी ज्यादा हो जाती है तो वही वाष्प पानी को चीरता हुआ आकाश के और चला जाता है उसके ठीक ऊपर एलियनों के रहने का स्थान है उस से टकराता है जिससे धन बादल बन रहा है जिस स्थान से वह वाष्प निकल रहा है वह विज्ञान उसे मैगनेटिक फिल्ड समझ रहा है जब की वह अत्यंत गर्म वाष्प है यही पृथवी का मध्य है जहां पृथ्वी का अंतिम सिमा है वहा से लेकर ब्रह्माण्ड तक एक स्तम्भ खरा है वह अस्तम्भ इतना काला है की उस और देखने में भी डर लगता है जिसे आजकल ब्लैकहोल कहते है दुनिया हवा में नहीं लटकी है इसे योजना बंध तरीके से बनाया गया है उसी स्तम्भ में सूर्य को स्थापित किया गया है इसलिए उस में बलैक-हॉल है एलियनों के निवास स्थान धन कोहरे वाले आकाश में स्थित है और विज्ञान उसे ब्रह्माण्ड के खाली स्थान में ढूँढ रहे है, जिस प्रकार आप विज्ञान स्टीम के द्वारा विजली उतपन्न होती है उसी प्रकार यह ब्रह्माण्ड कार्य कर रहा है स्टीम के प्रेशर से जो स्वास्तिक की तरह चक्र धूम रहा है उस से एलियन बिजली बनाते है उसको ठंडा रखने के लिए गंगा नामक नदी ब्रह्माण्ड के ऊपरी भाग से उतरकर उस प्रदेश को ठंडा रखती है फिर वहा से निकलकर पृथ्वी पर गिरती है जिसे बरमूडा का ट्रैंगल कहते है वह गिरती हुई गंगा नदी पृथ्वी के तल तक पहुचर फिर ऊपर की और उठती है जिसके कारण पृथ्वी पर नदिया बहती रहती है पृथवी का मध्य बरमूडा है, अंतरिक्ष का मध्य वह ब्लैकहोल है जिसका वर्तमान नाम काउला आइजलैंड है एलियनों और उसके बॉस की राज्य काल मनुष्य के हिसाब से ४३२०००० वर्ष के होते इस वर्ष में पृथ्वी पर १५७७९१७८२८ दिन-रात होते है इतने दिन रात में सूर्य के हिसाब से जोरने पर ५१८४०००० महीना होता है ४३२०००० वर्ष में सूर्य ४३२०००० बार धूमता है, चन्द्रमा ५७७५३३३६ बार धूमता है मंगल २२९६८३२ बार घूमता है, बुध १७९३७०६० बार घूमता है, वृहस्पति ३६४२२० बार घूमता है, शुक्र ७०२२३७६ बार घूमता है, शनि १४६५६८ बार घूमता है इन सभी को ग्रहों के धुमने की संख्या से १५७७९१७८२८ से भाग कर दो इससे सभी ग्रहों के एक चक्क्र में लगाने वाले समय निकल के आ जाएगा यही विज्ञान है यही सृष्टि है यही भगवान है इस सभी का पालन करने वाला वाला स्वयं विष्णु है सभी का बॉस है उनके पास पहुचने के लिए सच्चा एवं दूसरों को भलाई करने में जीवन समपर्ण कर दो नहीं तो यु ही अन्नतों जन्म-मरण में परते रहोगे मनुष्य का एक ही काम है मोक्ष प्राप्ति करना है <br />मनुष्यों के यह ८३वा वर्जन है, इससे पहले के मनुष्यों ने भी बहुत से उन्नत विज्ञान और बलवान हुए, किन्तु सभी का नाश हो गया, इसको नाश करने के लिए संख्याओं का विभाग किया गया है जिसे युग कहते है यह चार प्रकार के है सत्य-युग, त्रेता, द्वापर, और कलियुग इस वभाग के नाम छ: प्रकाश वर्ष पहले कुछ और नाम था प्रत्येक युग की अपना संख्या योग होता है उसके बाद उस युग का विनाश हो जाता जिस प्रकार पिता के आगे का ज्ञान पुत्र प्राप्त नहीं कर सकता उसी प्रकार प्रत्येक युग जीरो से १०० सौ की और बढ़ती है उसका ज्ञान और विज्ञान युग के साथ ही समाप्त हो जाता है इस समय जो वतर्मान समय में जी रहे हो उसको ख़त्म होने में मात्र ५० वर्ष रह गया है इस उग के अंत समय में परमाणु युद्ध होगा इसके बाद छ: दिन सम्पूर्ण पृथ्वी पर मूसलाधार वारिश होगी और सभी ज्ञान, विज्ञान, और समस्त जीवन को अपना ग्रास बना लेगी यही है सृष्टि के गाथा इसे सच मानो या ना मानो यह तुम्हारी मर्जी।।।।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14895678315402612393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-28385673703638083072015-03-17T04:21:56.706-07:002015-03-17T04:21:56.706-07:00आइस्टीन अगर आप ज़िंदा होते तो आप इस कथन से समझ जात...आइस्टीन अगर आप ज़िंदा होते तो आप इस कथन से समझ जाते की भगवान ने दुनिया कैसी बनाई,<br />(१) एक नाग जैसा चाकरी मार के बैठता है उस तरह से वह उस नाग की गोलाई है उस नाग के बीच में लोहे के अण्ड नुमा कुण्ड है जिसमे आग जल रही है उस आग से उतपन गर्मी को चकौर एवं खाली टैंक में जमा किया जाता है उस टैंक पर मेरु यंत्र के भाति विशाल पहाड़ स्थापित है फिर वह तेज टैंक से निकलकर उस विशाल पर्वत में इकट्ठा होता है यह सब प्रक्रिया समुन्द्र के अंदर चलती है फिर वह वाष्प चकौर टैंक के द्वारा उस विशाल पर्वत में इकट्ठा होता हुआ है पानी के निचे इकट्ठा होता है जिससे समुन्द्र में लहर बनती है जब वह वाष्प पानी के शक्ति से भी ज्यादा हो जाती है तो वही वाष्प पानी को चीरता हुआ आकाश के और चला जाता है उसके ठीक ऊपर एलियनों के रहने का स्थान है उस से टकराता है जिससे धन बादल बन रहा है जिस स्थान से वह वाष्प निकल रहा है वह विज्ञान उसे मैगनेटिक फिल्ड समझ रहा है जब की वह अत्यंत गर्म वाष्प है यही पृथवी का मध्य है जहां पृथ्वी का अंतिम सिमा है वहा से लेकर ब्रह्माण्ड तक एक स्तम्भ खरा है वह अस्तम्भ इतना काला है की उस और देखने में भी डर लगता है जिसे आजकल ब्लैकहोल कहते है दुनिया हवा में नहीं लटकी है इसे योजना बंध तरीके से बनाया गया है उसी स्तम्भ में सूर्य को स्थापित किया गया है इसलिए उस में बलैक-हॉल है एलियनों के निवास स्थान धन कोहरे वाले आकाश में स्थित है और विज्ञान उसे ब्रह्माण्ड के खाली स्थान में ढूँढ रहे है, जिस प्रकार आप विज्ञान स्टीम के द्वारा विजली उतपन्न होती है उसी प्रकार यह ब्रह्माण्ड कार्य कर रहा है स्टीम के प्रेशर से जो स्वास्तिक की तरह चक्र धूम रहा है उस से एलियन बिजली बनाते है उसको ठंडा रखने के लिए गंगा नामक नदी ब्रह्माण्ड के ऊपरी भाग से उतरकर उस प्रदेश को ठंडा रखती है फिर वहा से निकलकर पृथ्वी पर गिरती है जिसे बरमूडा का ट्रैंगल कहते है वह गिरती हुई गंगा नदी पृथ्वी के तल तक पहुचर फिर ऊपर की और उठती है जिसके कारण पृथ्वी पर नदिया बहती रहती है पृथवी का मध्य बरमूडा है, अंतरिक्ष का मध्य वह ब्लैकहोल है जिसका वर्तमान नाम काउला आइजलैंड है एलियनों और उसके बॉस की राज्य काल मनुष्य के हिसाब से ४३२०००० वर्ष के होते इस वर्ष में पृथ्वी पर १५७७९१७८२८ दिन-रात होते है इतने दिन रात में सूर्य के हिसाब से जोरने पर ५१८४०००० महीना होता है ४३२०००० वर्ष में सूर्य ४३२०००० बार धूमता है, चन्द्रमा ५७७५३३३६ बार धूमता है मंगल २२९६८३२ बार घूमता है, बुध १७९३७०६० बार घूमता है, वृहस्पति ३६४२२० बार घूमता है, शुक्र ७०२२३७६ बार घूमता है, शनि १४६५६८ बार घूमता है इन सभी को ग्रहों के धुमने की संख्या से १५७७९१७८२८ से भाग कर दो इससे सभी ग्रहों के एक चक्क्र में लगाने वाले समय निकल के आ जाएगा यही विज्ञान है यही सृष्टि है यही भगवान है इस सभी का पालन करने वाला वाला स्वयं विष्णु है सभी का बॉस है उनके पास पहुचने के लिए सच्चा एवं दूसरों को भलाई करने में जीवन समपर्ण कर दो नहीं तो यु ही अन्नतों जन्म-मरण में परते रहोगे मनुष्य का एक ही काम है मोक्ष प्राप्ति करना है <br />मनुष्यों के यह ८३वा वर्जन है, इससे पहले के मनुष्यों ने भी बहुत से उन्नत विज्ञान और बलवान हुए, किन्तु सभी का नाश हो गया, इसको नाश करने के लिए संख्याओं का विभाग किया गया है जिसे युग कहते है यह चार प्रकार के है सत्य-युग, त्रेता, द्वापर, और कलियुग इस वभाग के नाम छ: प्रकाश वर्ष पहले कुछ और नाम था प्रत्येक युग की अपना संख्या योग होता है उसके बाद उस युग का विनाश हो जाता जिस प्रकार पिता के आगे का ज्ञान पुत्र प्राप्त नहीं कर सकता उसी प्रकार प्रत्येक युग जीरो से १०० सौ की और बढ़ती है उसका ज्ञान और विज्ञान युग के साथ ही समाप्त हो जाता है इस समय जो वतर्मान समय में जी रहे हो उसको ख़त्म होने में मात्र ५० वर्ष रह गया है इस उग के अंत समय में परमाणु युद्ध होगा इसके बाद छ: दिन सम्पूर्ण पृथ्वी पर मूसलाधार वारिश होगी और सभी ज्ञान, विज्ञान, और समस्त जीवन को अपना ग्रास बना लेगी यही है सृष्टि के गाथा इसे सच मानो या ना मानो यह तुम्हारी मर्जी।।।।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14895678315402612393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-8571681069818825392015-03-12T09:40:27.465-07:002015-03-12T09:40:27.465-07:00ager dhuaa utha hai to chengari jrur hoge.. ager dhuaa utha hai to chengari jrur hoge.. Chandra Prakash Kuniyalhttps://www.blogger.com/profile/01796418291268737554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-38563469345385851542014-05-11T08:27:29.125-07:002014-05-11T08:27:29.125-07:00आधुनिकता की राख कभी इन चंद लाइनो को दबा न पायेगीआधुनिकता की राख कभी इन चंद लाइनो को दबा न पायेगीAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/16611461560600738964noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-16720433509351559072014-02-18T08:17:02.866-08:002014-02-18T08:17:02.866-08:00बहुत अच्छा बहुत अच्छा Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06603879595635198480noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-69017459296149940642013-06-13T10:25:25.565-07:002013-06-13T10:25:25.565-07:00sandipji Aapka bahut bahut shukriya, lekh Aaccha h...sandipji Aapka bahut bahut shukriya, lekh Aaccha hay aur vo bhi hindi me.<br />jitu patelnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-79373762660590803602013-06-13T10:20:24.205-07:002013-06-13T10:20:24.205-07:00sacchi bat hay sacchi bat hay jitu patelnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-91820092427078551702013-06-13T10:10:33.562-07:002013-06-13T10:10:33.562-07:00khanbhai Aapki bat sahi hay pure brhmand ki activi...khanbhai Aapki bat sahi hay pure brhmand ki activity pure planing ke sath cha rahi hay,scintist mashinme jo siddhant dalte hay vo bhi pahlese he mojud hay fark itna ki hum use jante nahi the,instein ne bhi nastiko se jyada isvar me mannevalon ki tarfen ki hay,sabsebada isvar naitikta me hi hay ,may bhi usme visvas karta hun,einstein isvar nahi hay aisa bhi nahi bolte ,unka visvas prakruti se hay,magar Aage nahi socha ki prakruti bhi kisi anjan shakti ka hi karan hay jise hum isvar,allah,jisas,vaheguru Aadi kahte hay.jitu patelnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-81025408361275006452013-06-13T09:47:14.456-07:002013-06-13T09:47:14.456-07:00Aapke vicharse sehmat hun 10% bhi hum jan nahi pa...Aapke vicharse sehmat hun 10% bhi hum jan nahi paye,koi shakti to hay jo itna sabkuchh kar sakti hay,magar Aainstain ki bat bhi sochne jaisi hay ki isvar ke darse bane hua dharm galat raste par hay,may isvar me pura visvas rakhta hun magar naititka hi asali isvar hay jo Aanand hi deta hay.jitu patelnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-55164831368787662492012-10-27T16:47:59.908-07:002012-10-27T16:47:59.908-07:00विज्ञान के लिए ही ठीक है विज्ञान के लिए ही ठीक है Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-40137239819988372062012-10-26T20:48:12.142-07:002012-10-26T20:48:12.142-07:00Yes!
Yes!<br />Переводчик русского языка, бизнес координатор и интегратор в Индииhttps://www.blogger.com/profile/13792698581033141339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-50005933845097888532012-10-26T20:46:10.600-07:002012-10-26T20:46:10.600-07:00Aor is Chaand aor Suraj ko ghumane wale ko kis ne ...Aor is Chaand aor Suraj ko ghumane wale ko kis ne banaya? Woh kahaN se aaya?Переводчик русского языка, бизнес координатор и интегратор в Индииhttps://www.blogger.com/profile/13792698581033141339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-2143785718424830872012-10-03T10:05:20.479-07:002012-10-03T10:05:20.479-07:00संदीप जी मैं आपसे मिलना चाहता हूँ, कृपा कर अपना ईम...संदीप जी मैं आपसे मिलना चाहता हूँ, कृपा कर अपना ईमेल मेरे इमेल पर भेजने का कष्ट करेंगे, आभारी रहूँगा<br />My E-mail- wgmrak@gmail.com, drishtipathindi@gmail, drishtipat@sify.com,<br />www.drishtipatpatrik.blogspot.comdrishtipathttps://www.blogger.com/profile/00993922860981766612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-87714514444466403912012-08-22T00:04:37.453-07:002012-08-22T00:04:37.453-07:00हम भी सहमत है । पर जो भी हो ईश्वर तो है।हम भी सहमत है । पर जो भी हो ईश्वर तो है।मन्नूhttps://www.blogger.com/profile/17508007580967351628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-86654791008314694012012-07-21T04:02:46.995-07:002012-07-21T04:02:46.995-07:00m einstien ki bAATO se puri tarah sahamat hu lkin ...m einstien ki bAATO se puri tarah sahamat hu lkin god bhi h is duniya meAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-62292854012674569412012-07-05T21:58:02.529-07:002012-07-05T21:58:02.529-07:00I appreciate you, We all with You Khan.
raghavend...I appreciate you, We all with You Khan.<br /><br />raghavendraRaghavendranoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-2692812746774153372012-06-05T23:08:00.373-07:002012-06-05T23:08:00.373-07:00If Einstein would have been alive.... I would have...If Einstein would have been alive.... I would have said that "the answer of your question lies in your's Special Theory Of Relativity".....<br /><br />and by the way universe exist in 2-phase Real and Imaginary...<br />and things existing between this 2-phase is GOD..DEEPAKhttps://www.blogger.com/profile/05369109807816439027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-39763714193289342602012-05-20T04:22:48.832-07:002012-05-20T04:22:48.832-07:00ईश्वर और इंसान के बीच एक ही दीवार है-mind.इसे ढहा ...ईश्वर और इंसान के बीच एक ही दीवार है-mind.इसे ढहा दें.ईश्वर सामने है.sarvesh singhhttps://www.blogger.com/profile/02203811720802312519noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-35715060053581249232012-02-21T22:58:55.303-08:002012-02-21T22:58:55.303-08:00सराहनीय लेख......विज्ञान आखिर है क्या? प्रकृती मे ...सराहनीय लेख......विज्ञान आखिर है क्या? प्रकृती मे विद्यमान नियम को जानना| विज्ञान कोई चमत्कार करनेवाली शक्ती नही है| ये ब्रह्मांड मे विद्यमान नियमो को जानकर संयोगोद्वारा, प्रयोगोद्वारा कुछ नया निर्माण करता है| विज्ञान अपनी मर्यादा मे है, ये कभीभी अंतिम दावेदार न था, न है, न रहेगा|.... ईश्वर अलग चीज है जिसकी परिभाषा उपर आईनस्टाईन ने अपने लेख मे प्रस्तुत की है| तथागत बुद्ध कहते थे 'ईश्वर है या नही इस संबंध मे मुझे कहना नही है|' इसी आधार पर अपने विचारोन्का वैज्ञानिक आईन्स्टाईन साहाब ने विस्तार किया है| इससे लगता है वे त. बुद्ध से प्रभावित थे|मनोज बोबडेhttps://www.blogger.com/profile/15607815380102534182noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-72122103878998460892012-02-21T17:13:39.543-08:002012-02-21T17:13:39.543-08:00अति उत्तम आलेख है...अति उत्तम आलेख है...rahttps://www.blogger.com/profile/10969812313292261207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-15444737897039536172012-02-21T08:29:27.391-08:002012-02-21T08:29:27.391-08:00बहुत हीं अच्छा लगा पढ़ कर......इस लेख एवं प्रत्युत्...बहुत हीं अच्छा लगा पढ़ कर......इस लेख एवं प्रत्युत्तरों ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर ‘विज्ञान’ क्या है एवं क्या ‘विज्ञान’ और ‘भगवान’ एक दूसरे से विलोम हैं.koshish...https://www.blogger.com/profile/12384275066893747435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-13014163343253240832012-02-19T22:31:25.235-08:002012-02-19T22:31:25.235-08:00Bhhut hee achcha kam hai .Bhhut hee achcha kam hai .Jitendra vermanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6299914479895363156.post-6341334616838911012012-02-16T20:25:00.069-08:002012-02-16T20:25:00.069-08:00संदीप भाई, आपने इस लेख को यहां रखकर और खासकर हिंदी...संदीप भाई, आपने इस लेख को यहां रखकर और खासकर हिंदी मे इसका अनुवाद कर महत्वपूर्ण काम किया है।धीरेशhttp://ek-ziddi-dhun.blogspot.comnoreply@blogger.com