मून मिशन के बाद अब इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने अगले छह साल में मंगल ग्रह पर भी स्पेसक्राफ्ट भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। इस बारे में की जाने वाली स्टडी, मिशन के रूट और दूसरी संबंधित डिटेल के बारे में सरकार ने भी 10 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इसरो के चेयरमैन जी. माधवन नायर के मुताबिक, मिशन से जुड़ी स्टडी पहले ही पूरी की जा चुकी है। अब हम वैज्ञानिक प्रस्ताव और उद्देश्य तलाश रहे हैं। उन्होंने यह बात यहां एस्ट्रोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की एक वर्कशॉप में कही। उन्होंने बताया कि हम 2013 और 2015 के बीच लॉन्च की कोशिश करेंगे। शुरुआती प्लान के मुताबिक इसरो 500 किलोग्राम वाला स्पेसक्राफ्ट मंगल पर भेजेगा। इसके लिए तीन लॉन्च विंडोज की पहचान हुई है, पहला 2013 में दूसरा 2016 और तीसरा 2018 में। अभी यह तय नहीं हुआ है कि यह एक्सक्लूसिव मिशन होगा या इंटरनैशनल एक्सपेरिमेंट भी शामिल किए जाएंगे। गौरतलब है कि भारत 2012 में चंद्रयान-2 मिशन के तहत रोबॉट को चांद पर भेजना चाहता है। 2015 तक वह स्पेस में इंसान को भेजना चाहता है। विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर के. राधाकृष्णन ने बताया कि कई युवा वैज्ञानिकों को इस मिशन से जोड़ा जा रहा है। खासकर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस टेक्नॉलजी, फिजिकल रिसर्च लैबरटरी, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च और दूसरी रिसर्च लैब से आए यंग साइंटिस्ट इससे जुड़ रहे हैं।
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मंगलवार, 18 अगस्त 2009
मंगल पर भारतीय स्पेसक्राफ्ट 2013 में
मून मिशन के बाद अब इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने अगले छह साल में मंगल ग्रह पर भी स्पेसक्राफ्ट भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। इस बारे में की जाने वाली स्टडी, मिशन के रूट और दूसरी संबंधित डिटेल के बारे में सरकार ने भी 10 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इसरो के चेयरमैन जी. माधवन नायर के मुताबिक, मिशन से जुड़ी स्टडी पहले ही पूरी की जा चुकी है। अब हम वैज्ञानिक प्रस्ताव और उद्देश्य तलाश रहे हैं। उन्होंने यह बात यहां एस्ट्रोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की एक वर्कशॉप में कही। उन्होंने बताया कि हम 2013 और 2015 के बीच लॉन्च की कोशिश करेंगे। शुरुआती प्लान के मुताबिक इसरो 500 किलोग्राम वाला स्पेसक्राफ्ट मंगल पर भेजेगा। इसके लिए तीन लॉन्च विंडोज की पहचान हुई है, पहला 2013 में दूसरा 2016 और तीसरा 2018 में। अभी यह तय नहीं हुआ है कि यह एक्सक्लूसिव मिशन होगा या इंटरनैशनल एक्सपेरिमेंट भी शामिल किए जाएंगे। गौरतलब है कि भारत 2012 में चंद्रयान-2 मिशन के तहत रोबॉट को चांद पर भेजना चाहता है। 2015 तक वह स्पेस में इंसान को भेजना चाहता है। विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर के. राधाकृष्णन ने बताया कि कई युवा वैज्ञानिकों को इस मिशन से जोड़ा जा रहा है। खासकर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस टेक्नॉलजी, फिजिकल रिसर्च लैबरटरी, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च और दूसरी रिसर्च लैब से आए यंग साइंटिस्ट इससे जुड़ रहे हैं।
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संदीपजी को नमस्कार,
जवाब देंहटाएंअजय शर्माजी ने आपके ब्लॉग का लिंक भेजा तो पता चला कि आप अभी जिंदा हैं, सकुशल हैं और अभी भी एलियंस के पीछे पडे हैं। एक साल मुंबई में रहा, कांटेक्ट नंबर्स भी बदल गए, सो कई लोगों से नाता ही टूट गया था। एक अरसा पहले अमर उजाला में अजय जी के बारे में लिखा था, सो तार जुडे हुए हैं। अब आपसे भी उन्होंने दोबारा जोड दिया। अच्छा लिखा, साइंस में हिंदी में वैसे ही बढिया लेखों की कमी रहती है। टाइम मिले तो कॉल करिएगा। आपका नंबर अब मेरे पास नहीं है...
विष्णु शर्मा
न्यूज 24
09999098222
vishnusharma1@gmail.com