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मंगलवार, 8 मार्च 2011

कैसी है अंतरिक्ष की गंध?

कभी सोचा है कि अंतरिक्ष की गंध कैसी होगी? हां, ये बात अलग है कि हम अंतरिक्ष में इसे सूंघ नहीं सकते, क्योंकि इसके लिए हवा जरूरी है।
लेकिन फिरभी ये सच है कि अंतरिक्ष की एक अपनी खास महक है। आखिर ये महक कैसी होगी? क्या ये महक बिल्कुल नई और अनजानी होगी, या फिर बिल्कुल जानी पहचानी सी? या फिर ऐसी कि समझना ही मुश्किल हो !
इसका जवाब अंतरिक्षयात्री देते हैं। स्पेसवॉक करने वाले अंतरिक्षयात्री बताते हैं कि 'अंतरिक्ष की महक अनजानी सी नहीं है, ये कई जानी-पहचानी गंध का एक मिलाजुला रूप है। अंतरिक्ष की खुश्बू - आपके कार या मोटरसाइकिल के इंजन से निकलने वाली गंध, दहकती धातु से उठने वाली गंध, डीजल के धुएं और कबाब जैसी किसी चीज के भुनने की महक इन सबका एक मिला-जुला सा रूप है। यकीनन आपके मन में कई सवाल उठ रहे होंगे, कि स्पेसवॉक के दौरान अंतरिक्षयात्रियों ने आखिर अंतरिक्ष को सूंघा कैसे होगा? क्योंकि स्पेसवॉक के दौरान हेलमेट तो वो उतार नहीं सकते, और एक सेकेंड के लिए अगर मान भी लिया जाए कि शायद खुले अंतरिक्ष में कभी कोई दुर्घटना घट गई होगी जिससे अंतरिक्ष की महक का एक झोंका अंतरिक्षयात्रियों तक आ गया होगा, तो ये भी मुमकिन नहीं है क्योंकि सूंघने के लिए हवा जरूरी है, और अंतरिक्ष में हवा कहां?
अंतरिक्ष की अपनी एक गंध है, ये बिल्कुल सच है। लेकिन ये भी सच है कि अंतरिक्ष की इस गंध को बगैर किसी मिलावट के उसके शुद्ध स्वरूप में सूंघना हम मानवों के लिए मुमकिन नहीं। क्योंकि अंतरिक्ष एक निर्वात-एक शून्य है, जहां कोई गैसीय वायुमंडल या हवा नहीं है, और अगर कभी कोई अंतरिक्षयात्री स्पेसवॉक के दौरान अंतरिक्ष को सूंघने की कोशिश भी करेगा तो उसे एक दर्दनाक मौत का सामना करना पड़ेगा। फिर आखिर अंतरिक्ष की गंध सूंघी कैसे गई?
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से अंतरिक्षयात्री जब भी स्पेसवॉक के लिए खुले अंतरिक्ष में जाते हैं, उनके स्पेससूट में कुछ ऐसे खास रासायनिक यौगिक के कण चिपक जाते हैं, जो अंतरिक्ष के कोने-कोने में तैरते रहते हैं। और स्पेसवॉक की समाप्ति पर स्पेससूट पर चिपके ये खास रासायनिक यौगिक कण अंतरिक्षयात्रियों के साथ स्पेस स्टेशन के भीतर आ जाते हैं।
स्पेसवॉक खत्म करके स्पेस स्टेशन के सुरक्षित माहौल में जब भी अंतरिक्षयात्री अपना हेलमेट उतारते हैं, उन्हें सबसे पहले यही जलती की गंध महसूस होती है, जिसकी वजह उनके स्पेससूट पर चिपके यही अंतरिक्ष के रासायनिक यौगिक होते हैं।
अंतरिक्ष की ये गंध इतनी महत्वपूर्ण है कि तीन साल पहले नासा ने मशहूर सुगंध निर्माता कंपनी ओमेगा इनग्रैडिएंट्स के स्टीवन पीयर्स से संपर्क कर उन्हें अंतरिक्ष जैसी गंध बनाने को कहा था। ताकि प्रशिक्षण के दौरान भावी अंतरिक्षयात्रियों को अंतरिक्ष के माहौल का एहसास उसकी गंध के साथ कराया जा सके। ऐसे ही एक दूसरे ऑर्डर पर ओमेगा इनग्रैडिएंट्स नासा के लिए चंद्रमा की गंध तैयार कर चुकी है, जो बारूद से मिलती-जुलती है।
अंतरिक्ष की एक गंध तो है, लेकिन इस गंध का स्रोत क्या है? अंतरिक्ष की ये गंध आखिर फूटती कहां से है? अंतरिक्ष की गंध की तरह इसके स्रोत का जवाब भी उतना ही सीधा-साधा है। अंतरिक्ष की गंध फूटती है मरते हुए सितारों से। नासा के एम्स रिसर्च सेंटर की एस्ट्रोफिजिक्स एंड एस्ट्रोकैमिस्ट्री लैब के संस्थापक और निदेशक डॉ. लुइस अलामैंडोला बताते हैं कि कई धातुओं, गैसों और रासायनिक तत्वों को खुद में समेटे सितारों की मौत जब सुपरनोवा धमाके के साथ होती है तो पॉलीसाइक्लिक एरोमिक हाइड्रोकार्बन्स के कण अंतरिक्ष में दूर-दूर तक बिखर जाते हैं। कार या मोटरसाइकिल के इंजन, दहकती धातु, डीजल के धुएं और किसी चीज के भुनने की इन सभी गंध के मिलेजुले रूप वाली अंतरिक्ष की ये खास गंध पॉलीसाइक्लिक एरोमिक हाइड्रोकार्बन्स के इन्हीं कणों में छिपी होती है। पॉलीसाइक्लिक एरोमिक हाइड्रोकार्बन्स के कण हमारी आकाशगंगा के कोने-कोने में मौजूद हैं। ये खास रासायनिक कण धूमकेतुओं, उल्काओं और स्पेस डस्ट में भी मौजूद पाए गए हैं। धरती पर जीवन की शुरुआत के लिए आधार तैयार करने में भी इन रासायनिक कणों की अहम भूमिका की पहचान हुई है। इतना ही नहीं, धरती पर मिलने वाले कोएले, कच्चे तेल और यहां तक कि हमारे खाने में भी अंतरिक्ष के ये रासायनिक कण खोजे गए हैं।
डॉ. अलामैंडोला बताते हैं कि हमारा सौरमंडल खासतौर पर काफी ‘कसैला’ है, क्योंकि ये कार्बन से भरपूर है और यहां ऑक्सीजन काफी कम है। अगर आप अपनी कार या बाइक के इंजन में जाने वाली हवा को रोक दें तो एक मिसफायर के साथ तेज गंध के साथ काला धुंआ यानि कार्बन निकलता है, ये गंध सौरमंडल की गंध से मिलती-जुलती है।
ऑक्सीजन की बहुतायत वाले सितारों की गंध कोएले के जलने जैसी होती है। लेकिन अगर एक बार आप हमारी आकाशगंगा के बाहर चले जाते हैं तो अंतरिक्ष की गंध भी बदल जाएगी। ब्रह्मांड के अंधेरे कोनों में मौजूद धूलकणों में अलग-अलग गंध मौजूद हो सकती है, जो हमें जलती हुई शक्कर और सड़े अंडों जैसी भी लग सकती है।

सोमवार, 20 अप्रैल 2009

पृथ्वी से टकराया था ग्रह थिया !


खगोल विज्ञान का एक बड़ा रहस्य सुलझने को है। ये रहस्य है हमारे चंद्रमा के बारे में। चंद्रमा पर दर्जनों अभियान भेजने के बावजूद हम अब तक ये ठीक-ठीक नहीं जान पाए कि हमारा चंद्रमा हमें कैसे मिला? इसका जन्म कैसे हुआ ? अब ये रहस्य सुलझने के करीब है और इसका श्रेय जाता है नासा के जुड़वा स्पेसक्राफ्ट स्टीरियो को। साइंस में कई बार हैरतअंगेज खोजें अनायास ही हुई हैं यानि साइंटिस्ट कर कुछ और रहे थे और उनके हाथ अचानक कुछ और लग गया।
इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है। नासा ने अपने जुड़वा स्पेसक्राफ्ट स्टीरियो भेजे थे सूरज के अध्ययन के लिए, लेकिन स्टीरियो ने धूल और मलबे का एक ऐसा ढेर खोज निकाला जिसके बारे में कहा जा रहा है कि ये हमारे सौरमंडल के ही एक ऐसे ग्रह के अवशेष हैं जो अब नष्ट हो चुका है। इस तबाह हो चुके ग्रह का नाम था थिया। थिया से हमारा एक खास रिश्ता है, क्योंकि थिया की वजह से ही हमें हमारा चंद्रमा मिला। दरअसल हुआ ये था कि करोड़ों साल पहले थिया पृथ्वी से आ टकराया था । इस भयानक टक्कर में थिया ग्रह तो टुकड़े-टुकड़े मलबे में बदल कर बिखर गया, लेकिन साथ ही उसने पृथ्वी से भी बहुत सारा मलबा अंतरिक्ष में उछाल दिया। बाद में यही मलबा चंद्रमा के आकार में एक जगह जमकर पृथ्वी के चक्कर काटने लगा।
नासा के साइंटिस्ट माइक खाइजर जैसे तमाम साइंटिस्ट हाल तक थिया ग्रह की कहानी को काल्पनिक मानते रहे हैं, क्योंकि थिया ग्रह के पृथ्वी से टकराने का कोई सबूत हमें नहीं मिला था। लेकिन स्टीरियो ने हाल ही में पृथ्वी और सूरज की गुरुत्वाकर्षण सीमारेखा में मौजूद लैगरेंजियन पॉइंट्स में चक्कर काटते धूल और मलबे के विशाल बादल खोज निकाले हैं। लैगरेंजियन पॉइंट्स पृथ्वी और सूरज की गुरुत्वाकर्षण ताकत की वजह से अंतरिक्ष में मौजूद ऐसे इलाके हैं जो सौरमंडल के तमाम मलबे को किसी नदी के भंवर की तरह अपने भीतर खींचते रहते हैं। साइंटिस्टों को अब लग रहा है कि लगभग 4.5 अरब साल पहले हमारे सौरमंडल में थिया नाम का ग्रह भी था, जो पृथ्वी से टकराकर नष्ट हो गया। साइंटिस्टों को उम्मीद है कि स्टीरियो स्पेसक्राफ्ट थिया ग्रह के टुकड़े जरूर खोज निकालेंगे। स्टीरियो थिया के इन टुकड़ों को खेजने का काम करेगा सितंबर, अक्टूबर 2009 में...जब नासा का ये स्पेसक्राफ्ट लैगरेंजियन पॉइंट्स यानि अंतरिक्ष में मौजूद गुरुत्वाकर्षण के इन कुओं की तली के सबसे नजदीक होगा। स्टीरियो की सबसे बड़ी खूबी यह है कि ये जुड़वां सेटेलाइट्स थ्री डी तस्वीरें भी खींचेंगे। इस तरह से मिली इमेज से हम अंतरिक्ष के रहस्यों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।