खगोल विज्ञान का एक बड़ा रहस्य सुलझने को है। ये रहस्य है हमारे चंद्रमा के बारे में। चंद्रमा पर दर्जनों अभियान भेजने के बावजूद हम अब तक ये ठीक-ठीक नहीं जान पाए कि हमारा चंद्रमा हमें कैसे मिला? इसका जन्म कैसे हुआ ? अब ये रहस्य सुलझने के करीब है और इसका श्रेय जाता है नासा के जुड़वा स्पेसक्राफ्ट स्टीरियो को। साइंस में कई बार हैरतअंगेज खोजें अनायास ही हुई हैं यानि साइंटिस्ट कर कुछ और रहे थे और उनके हाथ अचानक कुछ और लग गया।
इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है। नासा ने अपने जुड़वा स्पेसक्राफ्ट स्टीरियो भेजे थे सूरज के अध्ययन के लिए, लेकिन स्टीरियो ने धूल और मलबे का एक ऐसा ढेर खोज निकाला जिसके बारे में कहा जा रहा है कि ये हमारे सौरमंडल के ही एक ऐसे ग्रह के अवशेष हैं जो अब नष्ट हो चुका है। इस तबाह हो चुके ग्रह का नाम था थिया। थिया से हमारा एक खास रिश्ता है, क्योंकि थिया की वजह से ही हमें हमारा चंद्रमा मिला। दरअसल हुआ ये था कि करोड़ों साल पहले थिया पृथ्वी से आ टकराया था । इस भयानक टक्कर में थिया ग्रह तो टुकड़े-टुकड़े मलबे में बदल कर बिखर गया, लेकिन साथ ही उसने पृथ्वी से भी बहुत सारा मलबा अंतरिक्ष में उछाल दिया। बाद में यही मलबा चंद्रमा के आकार में एक जगह जमकर पृथ्वी के चक्कर काटने लगा।
नासा के साइंटिस्ट माइक खाइजर जैसे तमाम साइंटिस्ट हाल तक थिया ग्रह की कहानी को काल्पनिक मानते रहे हैं, क्योंकि थिया ग्रह के पृथ्वी से टकराने का कोई सबूत हमें नहीं मिला था। लेकिन स्टीरियो ने हाल ही में पृथ्वी और सूरज की गुरुत्वाकर्षण सीमारेखा में मौजूद लैगरेंजियन पॉइंट्स में चक्कर काटते धूल और मलबे के विशाल बादल खोज निकाले हैं। लैगरेंजियन पॉइंट्स पृथ्वी और सूरज की गुरुत्वाकर्षण ताकत की वजह से अंतरिक्ष में मौजूद ऐसे इलाके हैं जो सौरमंडल के तमाम मलबे को किसी नदी के भंवर की तरह अपने भीतर खींचते रहते हैं। साइंटिस्टों को अब लग रहा है कि लगभग 4.5 अरब साल पहले हमारे सौरमंडल में थिया नाम का ग्रह भी था, जो पृथ्वी से टकराकर नष्ट हो गया। साइंटिस्टों को उम्मीद है कि स्टीरियो स्पेसक्राफ्ट थिया ग्रह के टुकड़े जरूर खोज निकालेंगे। स्टीरियो थिया के इन टुकड़ों को खेजने का काम करेगा सितंबर, अक्टूबर 2009 में...जब नासा का ये स्पेसक्राफ्ट लैगरेंजियन पॉइंट्स यानि अंतरिक्ष में मौजूद गुरुत्वाकर्षण के इन कुओं की तली के सबसे नजदीक होगा। स्टीरियो की सबसे बड़ी खूबी यह है कि ये जुड़वां सेटेलाइट्स थ्री डी तस्वीरें भी खींचेंगे। इस तरह से मिली इमेज से हम अंतरिक्ष के रहस्यों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।
इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है। नासा ने अपने जुड़वा स्पेसक्राफ्ट स्टीरियो भेजे थे सूरज के अध्ययन के लिए, लेकिन स्टीरियो ने धूल और मलबे का एक ऐसा ढेर खोज निकाला जिसके बारे में कहा जा रहा है कि ये हमारे सौरमंडल के ही एक ऐसे ग्रह के अवशेष हैं जो अब नष्ट हो चुका है। इस तबाह हो चुके ग्रह का नाम था थिया। थिया से हमारा एक खास रिश्ता है, क्योंकि थिया की वजह से ही हमें हमारा चंद्रमा मिला। दरअसल हुआ ये था कि करोड़ों साल पहले थिया पृथ्वी से आ टकराया था । इस भयानक टक्कर में थिया ग्रह तो टुकड़े-टुकड़े मलबे में बदल कर बिखर गया, लेकिन साथ ही उसने पृथ्वी से भी बहुत सारा मलबा अंतरिक्ष में उछाल दिया। बाद में यही मलबा चंद्रमा के आकार में एक जगह जमकर पृथ्वी के चक्कर काटने लगा।
नासा के साइंटिस्ट माइक खाइजर जैसे तमाम साइंटिस्ट हाल तक थिया ग्रह की कहानी को काल्पनिक मानते रहे हैं, क्योंकि थिया ग्रह के पृथ्वी से टकराने का कोई सबूत हमें नहीं मिला था। लेकिन स्टीरियो ने हाल ही में पृथ्वी और सूरज की गुरुत्वाकर्षण सीमारेखा में मौजूद लैगरेंजियन पॉइंट्स में चक्कर काटते धूल और मलबे के विशाल बादल खोज निकाले हैं। लैगरेंजियन पॉइंट्स पृथ्वी और सूरज की गुरुत्वाकर्षण ताकत की वजह से अंतरिक्ष में मौजूद ऐसे इलाके हैं जो सौरमंडल के तमाम मलबे को किसी नदी के भंवर की तरह अपने भीतर खींचते रहते हैं। साइंटिस्टों को अब लग रहा है कि लगभग 4.5 अरब साल पहले हमारे सौरमंडल में थिया नाम का ग्रह भी था, जो पृथ्वी से टकराकर नष्ट हो गया। साइंटिस्टों को उम्मीद है कि स्टीरियो स्पेसक्राफ्ट थिया ग्रह के टुकड़े जरूर खोज निकालेंगे। स्टीरियो थिया के इन टुकड़ों को खेजने का काम करेगा सितंबर, अक्टूबर 2009 में...जब नासा का ये स्पेसक्राफ्ट लैगरेंजियन पॉइंट्स यानि अंतरिक्ष में मौजूद गुरुत्वाकर्षण के इन कुओं की तली के सबसे नजदीक होगा। स्टीरियो की सबसे बड़ी खूबी यह है कि ये जुड़वां सेटेलाइट्स थ्री डी तस्वीरें भी खींचेंगे। इस तरह से मिली इमेज से हम अंतरिक्ष के रहस्यों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।
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