मंगल से मिलते-जुलते हालात वाली जगह पृथ्वी पर एक ही है, और वो है अंटार्कटिक का ब्लड फॉल्स। इस जगह का ये नाम इसलिए पड़ा क्योंकि मिट्टी में आइरन यानि लोहे की भारी मौजूदगी की वजह ये यहां की पूरी जमीन सुर्ख लाल है, बिल्कुल मंगल ग्रह की तरह। यहीं एक ग्लेशियर के नीचे से वैज्ञानिकों ने तरह-तरह के जीवों से भरपूर एक ऐसा जंगल खोज निकाला है, जो 15 लाख साल से पृथ्वी की बाहरी दुनिया और हमारी नजरों से दूर था। यहां जंगल से मतलब विशाल पेड़-पौधों से नहीं, बल्कि बिल्कुल नए पारिस्थितिकी तंत्र और बिल्कुल नए किस्म के बैक्टीरिया की उन तमाम प्रजातियों से है, जो ऐसे हालात में मजे से फल-फूल रहे हैं जहां जिंदगी का वो रूप जिसे हम जानते हैं, एक पल भी सांस नहीं ले सकता। पृथ्वी का बाहरी माहौल यानि ऑक्सीजन इन जीवों के लिए जहर है। इन अनोखे माइक्रोब्स की विशेषताएं इतनी हैरान करने वाली हैं कि वैज्ञानिक बेहद रोमांचित हैं। इन माइक्रोब्स ने लाखों साल बिना हवा और धूप के भी खुद को जिंदा रखा है। इतने लंबे समय तक ये महज खनिजों के अवशेष और मृत समुद्री जीवों के सहारे खुद को जिंदा रख पाए। यह भोजन भी इन्हें शायद ही नसीब होता अगर 1300 फीट नीचे बर्फ में एक तालाब न बना होता। यही नहीं ये माइक्रोब्स ऑक्सीजन लेने की बजाय आयरन को बतौर सांस लेने के अभ्यस्त हो गए और इसी से एनर्जी पैदा करने लगे। ऐसे विपरीत माहौल में इतनी शानदार खोज से वैज्ञानिकों को इसी तरह की परिस्थितियों वाले मंगल सरीखे दूसरे ग्रहों पर भी जीवन मौजूद होने की आशाएं दोगुनी हो गई हैं। इस स्टडी पर काम करने वाली न्यू हंपशर स्थित डार्टमाउथ कॉलिज की जिल मिकुकी के मुताबिक, यह पृथ्वी के इतिहास में दर्ज एक बेहद खास चीज है। मैं नहीं जानती कि पृथ्वी पर कहीं और भी ऐसा माहौल है या नहीं। डॉ. मिकुकी के मुताबिक, अगर ये जीव इतने मुश्किल माहौल में पृथ्वी पर जीवित रह सकते हैं तो फिर शायद बाकी ग्रहों और चंद्रमाओं पर भी रह पाएं। इस खोज से हमें अंतरिक्ष में मौजूद संभावनाओं के बारे में भी पता लगता है। इस स्टडी को अंजाम देने वालों में से एक मैसाचुसेट्स स्थित हार्वर्ड यूनिवसिर्टी के एन पियरसन के शब्दों में, हमने एक तरह से पूरा का पूरा जंगल खोज निकाला है। ऐसा जंगल जिसे 15 लाख साल से किसी ने नहीं देखा।
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