फ़ॉलोअर

गुरुवार, 16 अप्रैल 2009

एलियन प्लेनेट पर ट्रिपल सनसेट !

सूर्यास्त, यानि वो घड़ी जब दिन की समाप्ति होती है और दबे पांव आती शाम पूरे माहौल पर छा जाती है। अध्यात्म और प्रेम की भावनाओं के साथ डूबता हुआ सूरज, हमें कुदरत की ताकत का भी अहसास कराता है। लेकिन हमारी पृथ्वी से दूर एक ऐसा दुनिया भी है जहां एक नहीं तीन-तीन सूरज डूबते हैं। हमारी दुनिया एक सूरज से जगमगाती है, लेकिन इस दुनिया के आसमान में तीन-तीन सूरज चमकते हैं। इसीलिए शाम होने पर यहां सूर्यास्त का नजारा एक नहीं बल्कि तीन-तीन बार नजर आता है। तीन-तीन सूरज की परिक्रमा करने वाले इस ग्रह का नाम है - एचडी 188753 एबी और इसकी खोज जुलाई 2005 में की गई थी।
ये तो तय है कि सितारों के उस पार कहीं न कहीं जीवन मौजूद है। हो सकता है इनमें से कुछ ऐसे भी ठिकाने हों जहां जीवन हमारी तरह किसी बुद्धिमान सभ्यता के रुप में मौजूद हो। लेकिन कहां....? साइंस सदियों से इस सवाल का जवाब खोज रही है। इसी चक्कर में कई और बातें भी निकल कर सामने आईं... पृथ्वी से दूर किसी अनजाने जीवन के बारे में 2003 में एक अहम खोज की गई। वैज्ञानिको ने बताया कि मिथुन राशि के सितारों में से 37 वां और सबसे चमकदार सितारा थर्टीसेवन जेम बेहद खास है। ये सितारा हमारे सूरज जैसा ही है। इसके किसी ग्रह पर जीवन के मौजूद होने के आसार बहुत ज्यादा हैं। 2004 में सौरमंडल की दहलीज से बाहर एक नए ग्रह सेडना का पता चला और 2005 जून में धरती से 15 प्रकाश वर्ष दूर एक चट्टानी ग्रह खोज निकाला गया। ये ग्रह एक सितारे के चारों ओर घूम रहा है। इसका नाम रखा गया सुपरअर्थ, क्योंकि इसका आकार हमारी धरती से आठ गुना बड़ा है। अब तो कई सुपरअर्थ की मौजूदगी तलाशी जा चुकी है।
2005 में नासा ने एक ऐसी घोषणा की कि पूरी दुनिया हैरान रह गई, हमारे सौरमंडल का 10वां सदस्य ग्रह खोज निकाला गया। इस ग्रह का एक चंद्रमा भी है। इससे पहले सौरमंडल के 9वें ग्रह प्लूटो की खोज आज से 75 साल पहले हुई थी। प्लूटो की तरह से ये भी बेहद ठंडा है। दूसरी दुनिया में जीवन की खोज अभी जारी है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि कुदरत ने जीवन को लेकर भी एक तयशुदा नियम जरुर बनाया होगा। जो ब्रह्मांड में हर जगह एक समान रूप से लागू होता होगा। जीवन के इस यूनिवर्सल नियम को ही 'थ्योरी आफ एवरीथिंग' का नाम दिया गया है। 'थ्योरी आफ एवरीथिंग' का विचार विज्ञान की दो प्रमुख शाखाओं फीजिक्स और केमेस्ट्री से आया है। साइंस की इन दोनों शाखाओं के नियम हर कहीं एकसमान रूप से लागू होते हैं। लेकिन जीवविज्ञान को लेकर अबतक सार्वभौम नियम की खोज चल रही है। अगर इस नियम की खोज मुमकिन हो पाई तो पहचान किए जा रहे नए खगोलिय पिंडों पर जीवन और वहां के वातावरण के बारे में जानकारी जुटाना काफी आसान हो जाएगा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें