भारतीय छात्रों के लिए 20 अप्रैल की तारीख एक यादगार दिन बन चुका है। इस दिन इसरो ने अपने सेटेलाइट लांच वेहेकिल से एक ऐसे सेटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जिसकी डिजाइन तैयार करने से लेकर निर्माण तक के पूरे काम में एक भी साइंटिस्ट शामिल नहीं था। इस सेटेलाइट का नाम है अनुसेट और इसे बनाया है अन्ना यूनिवर्सिटी के छात्रों ने। इस तरह अनुसेट देश के छात्रों का बनाया पहला सेटेलाइट है जो अब अंतरिक्ष में मौजूद है। अनुसेट का वजन है 38 किलो और इसे बनाने के पीछे अन्ना यूनिवर्सिटी का का मुख्य मकसद सेटेलाइट और स्पेस टेक्नोलॉजी के बारे में छात्रों की जानकारी और अनुभव को बढ़ाना है। छात्रों के इस सेटेलाइट में स्टोर ऐंड फॉरवर्ड पेलोड के अलावा माइक्रो इलेक्ट्रो मिकैनिकल सिस्टम्स (एमईएमएस), एमईएमएस जाइरोस्कोप, एक एमईएमएस मैग्नेटोमीटर और एक सैटलाइट पजिशनिंग सिस्टम होगा। अनुसेट का जीवनकाल एक साल का है। खास बात ये कि अनुसेट के ग्राउंड स्टेशन को तैयार करने का काम भी देश के छात्रों ने ही किया है। अनुसेट के ग्राउंड स्टेशन को तैयार करने का काम छात्रों ने पुणे यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट की हेड एस.ए.गांगल के नेतृत्व में किया है। अनुसेट एक साल तक अपनी कक्षा में परिक्रमा करता रहेगा और इस दौरान छात्र अपने इसे सेटेलाइट की मदद से संचार संबंधी कई प्रयोग करेंगे।
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