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रविवार, 3 अक्तूबर 2010

धार्मिक रहस्यवादी न्यूटन

प्रो. स्टीफन हॉ़किंग ने अपनी किताब – ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम - में न्यूटन के बारे में लिखा है कि वो अपने जमाने (1643-1727) में ब्रिटेन के कुलीन वर्ग में भाग्य बताने वाले ज्योतिषी के तौर पर मशहूर थे। निकोलाई चेर्नीशेव्स्की अपने उपन्यास ह्वाट इज टु बी डन में न्यूटन का जिक्र एक धार्मिक रहस्यवादी के तौर पर करते हैं। उन्नीसवीं सदी में रूस में उभर रही समाजवादी धारणाओं की पृष्ठभूमि में लिखे उनके इस उपन्यास में एक प्रबुद्ध कैरेक्टर को बराबर न्यूटन की संकलित रचनाओं का ग्यारहवां वाल्यूम पढ़ता दिखाया जाता है, जिसमें न्यूटन की रहस्यवादी मान्यताएं दर्ज हैं। न्यूटन की धार्मिक रहस्यवादी छवि को डैन ब्राउन एक नया ही आयाम दे देते हैं। डैन ब्राउन के मशहूर थ्रिलर उपन्यास द विंची कोड में न्यूटन को यूरोप में पिछले एक हजार से भी ज्यादा साल से सक्रिय एक बेहद गोपनीय धार्मिक संगठन प्रायोरी ऑफ सिओन का सदस्य बताया गया है।
न्यूटन का अपना निजी जीवन तरह-तरह की अतार्किक-रहस्यवादी मान्यताओं से भरा हुआ था। प्रायोरी ऑफ सिओन की तर्ज पर ही न्यूटन कैथोलिक धर्म के घोर विरोधी थे और कैथोलिकों को 'रोमन रंडियों की औलाद' मानते थे। लेकिन ये एलिजाबेथ के जमाने से ही ऐंग्लिकन इंग्लैंड की एक आम सांप्रदायिक मान्यता थी। खास बात ये कि महिलाओं के प्रति न्यूटन के मन में घृणा कूट-कूट कर भरी हुई थी और शायद पूरी जिंदगी किसी महिला के साथ संसर्ग का अवसर उन्हें कभी प्राप्त नहीं हुआ (दरअसल, इसके लिए कभी कोई प्रयास ही उन्होंने नहीं किया)।
आम महिलाओं के बजाय शायद वेश्याओं को लेकर न्यूटन ने कुछ प्रेक्षण जरूर किए थे, नहीं तो उनकी इस मान्यता का कोई आधार समझ में नहीं आता कि वेश्याओं के मासिक धर्म के रक्त में कुछ जादुई गुण मौजूद होते हैं। इस मासिक रक्त को लेकर एक ऑब्सेसन न्यूटन के रंगों के चयन में भी दिखाई पड़ता है। उनके शयन कक्ष का रंग, उसमें मौजूद एक-एक चीज- गद्दा-तकिया-चादर-पर्दे आदि का रंग खूनी लाल (क्रिमसन) था। भारत में यह रंग तांत्रिकों की पसंद माना जाता है, लेकिन न्यूटन को क्रिमसन रेड यानि खूनी लाल रंग क्यों पसंद था, ये बात कतई समझ में नहीं आती।
ब्रह्मांड में जीवन को लेकर भी न्यूटन की कुछ विचित्र अवधारणाएं थीं, जिसे डॉ. चंद्रा विक्रमासिंघे और डॉ. जयंत नार्लीकर की एक वैज्ञानिक धारणा सर्वजीवनवाद (पैनस्पर्मिया) की बुनियाद माना जा सकता है। उनका मानना था कि ब्रह्मांड में एक विशिष्ट जीवन-वीर्य हर तरफ बिखरा हुआ है। उनकी मान्यता थी कि पुच्छल तारों की लंबी पूंछ विभिन्न ग्रहों में जीवन आरोपित करती है।
संग्रहालय में सुरक्षित न्यूटन के कुछ बालों के अध्ययन से पता चला है कि उनमें सीसे (लेड) और पारे की खतरनाक मात्रा मौजूद है। प्राचीन यूनानी कीमियागर (अलकेमिस्ट) पारस पत्थर (फिलॉस्फर्स स्टोन) के जरिए इन भारी धातुओं से ही सोना और अमृत बनाने में अपनी जिंदगी झोंके रहते थे। ऐसा लगता है कि न्यूटन ऐसे कुछ न कुछ अपने शरीर पर भी करते रहते थे। आग लग जाने के उनके शाश्वत भय और सचमुच उनके घर में बार-बार आग लगने की हकीकत के पीछे मुख्य वजह उनकी कीमियागिरी के अलावा और क्या हो सकती है?
लेकिन एक ऐसे समय में, जब पूरे यूरोप में तमाम प्राचीन विश्वासों वाले लोग जादूगर और चुड़ैल बताकर मौत के घाट उतारे जा रहे थे, न्यूटन आखिर बच कैसे गए? इसका सीधा कारण ऐंग्लिकन सोच की उदारता से ज्यादा अपने दरबार के लिए तमाम मामलों में उनका उपयोगी होना था। वे इंग्लैंड की टकसाल के प्रभारी थे और नकली सिक्के बनाने वालों को फांसी पर लटकाने का हुक्म देना उनका रोजमर्रे का प्रिय शगल था।
न्यूटन के निजी जीवन के बारे में ये तथ्य पीटर ऐकरवुड की लिखित न्यूटन की जीवनी में वर्णित हैं। इन तथ्यों पर मौजूदा समय के सबसे तीखे नास्तिक (बल्कि धर्मविरोधी) चिंतक क्रिस्टोफर हिचेंस की मोहर लगी हुई है, लिहाजा इनसे सहमत होने में मुझे कोई एतराज नहीं है।

साभार - चंद्रभूषण

1 टिप्पणी:

  1. न्यूटन के बारे में ये तो सर्वथा नवीन जानकारी मिली. अब तक तो उन्हें हम वैज्ञानिक के रूप में ही जानते थे!

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