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रविवार, 18 सितंबर 2011

गिर रहा है 6.5 टन का सेटेलाइट


आपको शायद जानकर हैरानी हो कि मानव निर्मित 2200 टन कबाड़ पृथ्वी की कक्षा में मौजूद है। पृथ्वी की कक्षा में सेटेलाइट भेजने वाले देशों की संख्या बढ़ती जा रही है। नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर की 1997 की सेटेलाइट सिचुएशन रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी की कक्षा में करीब 25000 सेटेलाइट्स मौजूद हैं। चिंता की बात ये कि इनमें से 16000 से ज्यादा सेटेलाइट्स बहुत पहले काम करना बंद कर चुके हैं और अब ये दूसरे सेटेलाइट्स के लिए खतरा बन गए हैं।
ये डेटा 14 साल पुराना है और एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक पृथ्वी की कक्षा में मौजूद सेटेलाइट्स की संख्या करीब 35000 तक हो चुकी है। हाल ही में यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने 20 साल तक काम कर चुके अपने सेटेलाइट ईआरएस-2 को रिटायर कर दिया। इसी बीच एक दूसरी खबर नासा से आई कि 20 साल पहले अंतरिक्ष भेजा गया उसका एक भारी-भरकम सेटेलाइट अब बेकाबू होकर धरती पर गिर रहा है। इस सेटेलाइट का नाम है अपर एटमॉस्फियर रिसर्च सेटेलाइट यानि यूएआरएस और इसे 20 साल पहले 1991 में अंतरिक्ष भेजा गया था। इस गिरते हुए सेटेलाइट पर लगातार नजर रख रहे नासा के वैज्ञानिकों ने जानकारी दी है कि साढ़े छह टन वजनी ये बेकाबू सेटेलाइट 23 सितंबर को धरती के वातावरण में प्रवेश कर सकता है। लेकिन, सबसे बड़ा खतरा ये कि वैज्ञानिक नहीं जानते कि ये अनियंत्रित सेटेलाइट, जमीन पर गिरेगा या फिर समुद्र में।
सेटेलाइट यूएआरएस दूसरे सामान्य सेटेलाइट के मुकाबले काफी भारी-भरकम है। इसकी लंबाई 10 मीटर और वजन करीब 6.5 टन है। पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में मौजूद ओजोन लेयर का अध्ययन करना इस सेटेलाइट का मकसद था और इसकी मदद से 20 साल तक हम ओजोन लेयर के बारे में गहराई से अध्ययन करने में कामयाब भी रहे। लेकिन, 20 साल तक धरती के ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन करने के बाद अब इसका ईंधन खत्म हो गया है और इसे निर्देशित करने वाले कंप्यूटर्स फेल हो चुके हैं। धरती से इस सेटेलाइट का संपर्क टूट चुका है और अब साढ़े छह टन का ये सेटेलाइट हर दिन धरती की ओर गिरता चला जा रहा है।
नासा के ऑरबिटल डेबरीज प्रोग्राम के चीफ साइंटिस्ट निक जॉनसन के मुताबिक कोई भी ये ठीक-ठीक नहीं बता सकता कि ये सेटेलाइट धरती पर कहां गिरेगा। वैज्ञानिकों ने इस सेटेलाइट का मलबा किसी बस्ती पर गिरने की आशंका 3,200 में 1 जताई है। लेकिन वैज्ञानिकों ने ये भी कहा है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि अंतरिक्ष अभियान के 54 साल के इतिहास के दौरान सेटेलाइट के गिरते मलबे से कभी किसी को चोट नहीं लगी है।
ताजा जानकारी के मुताबिक ये भारी-भरकम सेटेलाइट यूएआरएस इस वक्त ऐसी कक्षा में है जो छह महाद्वीपों और तीन महासागरों के ऊपर से गुजरती है। नासा के वैज्ञानिक इस गिरते हुए सेटेलाइट की लगातार निगरानी कर रहे हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वायुमंडल में रीइंट्री के दौरान इस सेटेलाइट का ज्यादातर हिस्सा जल जाएगा, लेकिन फिर भी आशंका है कि इससे कुछ बड़े टुकड़े छिटक सकते हैं।
 इस सेटेलाइट में 150 किलो से ज्यादा वजन वाले 26 भारी-भरकम कलपुर्जे ऐसे हैं जो वातावरण में प्रवेश के दौरान सेटेलाइट से छिटक कर धरती तक पहुंच सकते हैं। ताजा अनुमान के मुताबिक इस सेटेलाइट के टुकड़े उत्तरी कनाडा से लेकर दक्षिणी अमेरिका तक 800 किलोमीटर के दायरे में बिखर सकते हैं। ये सेटेलाइट इतना विशाल है कि इसके वायुमंडल में प्रवेश करते ही लोगों को दिन की रोशनी में भी एक फॉयरबाल का नजारा दिख सकता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है कि इस सेटेलाइट से छिटके टुकड़े अगर किसी को मिलें तो उन्हें छूने के बजाय स्थानीय प्रशासन को इसकी खबर दें।  

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