सूरज अब एक बड़े बदलाव से गुजरने वाला है। सूरज के चुंबकीय क्षेत्र अगले तीन से चार महीनों में पलटने वाले है। इससे हमें या धरती को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है। इससे घबराने की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि सूरज के चुंबकीय क्षेत्र हर 11 साल में एक बार पलटते हैं।
सोलर एक्टिविटी की साइकिल 11 साल की होती है। सोलर एक्टिविटी साइकिल के चरम पर जब सूरज का आंतरिक मैग्नेटिक डायनामो खुद को जैसे ही पुर्नस्थापित करता है, सूरज के चुंबकीय क्षेत्र पलट जाते हैं। सूरज के चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव जब भी होता है, तो इससे पहले चुंबकीय क्षेत्र कमजोर होते-होते एकदम से खत्म हो जाते हैं। फिर अचानक से सूरज के चुंबकीय क्षेत्र पलटे हुए ध्रुवों के साथ फिर से पैदा हो जाते हैं।
सूरज के चुंबकीय क्षेत्रों का पलटना कोई आपदा नहीं है, लेकिन फिर भी इसके असर पूरे सौरमंडल पर पड़ता है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की विलकॉक्स सोलर ऑब्जरवेटरी के निदेशक और सोलर फिजिसिस्ट टोड ह़ॉक्समा बताते हैं कि सूरज के ध्रुवों के पलटने से पूरा सौरमंडल मानो कांप सा उठता है।
चुंबकीय क्षेत्रं के पलटने के दौरान सूरज से होने वाली आवेशित कणों की बौछार एकदम से तेज हो उठती है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा के दौरान कई बार सूरज के इन आवेशित कणों के बादल में डूबती और ऊपर आती रहती है। इसका मतलब ये हुआ कि आने वाले समय में हम स्पेस वेदर में तेज उतार-चढ़ाव देखेंगे और आने वाले समय में औरोरा बोरेलिस यानि रात में आसमान में नजर आनेवाली रंग-बिरंगी रोशनी की घटनाएं और भी ज्यादा और तीव्र नजर आएगी।
सूरज के चुंबकीय क्षेत्रों में बदलाव से कॉस्मिक किरणों की बौछार भी प्रभावित होगी। कॉस्मिक किरणें दरअसल हाई इनर्जी पार्टिकिल्स की बौछार हैं, जो दूर आकाशगंगाओँ में हुए सुपरनोवा धमाकों या ऐसी ही दूसरी विनाशकारी घटनाओं से फूटती हैं। कॉस्मिक किरणें अंतरिक्षयात्रियों और स्पेस प्रोब्स के लिए बेहद खतरनाक होती हैं। सौर विज्ञानियों का कहना है कि सूरज के चुंबकीय क्षेत्रों के पलटने से पृथ्वी पर बादलों की स्थिति और मौसम पर असर पड़ सकता है।
स्टैनफोर्ड के एक अन्य सोलर फिजिसिस्ट फिल शेरेर बताते हैं कि सूरज का उत्तरी ध्रुव पहले से ही बदलाव के संकेत दे चुका है, जबकि दक्षिणी ध्रुव अभी पलटने की प्रक्रिया में है। जल्दी ही सूरज के दोनों चुंबकीय़ ध्रुव पलट जाएंगे और इसके साथ ही सोलर मैक्स की शेष आधी अवधि भी शुरू हो जाएगी
सोलर एक्टिविटी की साइकिल 11 साल की होती है। सोलर एक्टिविटी साइकिल के चरम पर जब सूरज का आंतरिक मैग्नेटिक डायनामो खुद को जैसे ही पुर्नस्थापित करता है, सूरज के चुंबकीय क्षेत्र पलट जाते हैं। सूरज के चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव जब भी होता है, तो इससे पहले चुंबकीय क्षेत्र कमजोर होते-होते एकदम से खत्म हो जाते हैं। फिर अचानक से सूरज के चुंबकीय क्षेत्र पलटे हुए ध्रुवों के साथ फिर से पैदा हो जाते हैं।
सूरज के चुंबकीय क्षेत्रों का पलटना कोई आपदा नहीं है, लेकिन फिर भी इसके असर पूरे सौरमंडल पर पड़ता है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की विलकॉक्स सोलर ऑब्जरवेटरी के निदेशक और सोलर फिजिसिस्ट टोड ह़ॉक्समा बताते हैं कि सूरज के ध्रुवों के पलटने से पूरा सौरमंडल मानो कांप सा उठता है।
चुंबकीय क्षेत्रं के पलटने के दौरान सूरज से होने वाली आवेशित कणों की बौछार एकदम से तेज हो उठती है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा के दौरान कई बार सूरज के इन आवेशित कणों के बादल में डूबती और ऊपर आती रहती है। इसका मतलब ये हुआ कि आने वाले समय में हम स्पेस वेदर में तेज उतार-चढ़ाव देखेंगे और आने वाले समय में औरोरा बोरेलिस यानि रात में आसमान में नजर आनेवाली रंग-बिरंगी रोशनी की घटनाएं और भी ज्यादा और तीव्र नजर आएगी।
सूरज के चुंबकीय क्षेत्रों में बदलाव से कॉस्मिक किरणों की बौछार भी प्रभावित होगी। कॉस्मिक किरणें दरअसल हाई इनर्जी पार्टिकिल्स की बौछार हैं, जो दूर आकाशगंगाओँ में हुए सुपरनोवा धमाकों या ऐसी ही दूसरी विनाशकारी घटनाओं से फूटती हैं। कॉस्मिक किरणें अंतरिक्षयात्रियों और स्पेस प्रोब्स के लिए बेहद खतरनाक होती हैं। सौर विज्ञानियों का कहना है कि सूरज के चुंबकीय क्षेत्रों के पलटने से पृथ्वी पर बादलों की स्थिति और मौसम पर असर पड़ सकता है।
स्टैनफोर्ड के एक अन्य सोलर फिजिसिस्ट फिल शेरेर बताते हैं कि सूरज का उत्तरी ध्रुव पहले से ही बदलाव के संकेत दे चुका है, जबकि दक्षिणी ध्रुव अभी पलटने की प्रक्रिया में है। जल्दी ही सूरज के दोनों चुंबकीय़ ध्रुव पलट जाएंगे और इसके साथ ही सोलर मैक्स की शेष आधी अवधि भी शुरू हो जाएगी
बहुत लंबे इंतज़ार के बाद आपकी पोस्ट आई, मगर हमेशा की तरह तरोताजा
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