हमें पहले क्या करना चाहिए? रोटी जरूरी है या मंगल और चांद पर जाना? इस मुद्दे पर इसरो चीफ के राधाकृष्णन के विचार, मंगलयान के मंगल की कक्षा में सफल प्रवेश के अवसर पर वॉयेजर की खास प्रस्तुति-
'इसरो में ये सवाल हमलोग हर दिन खुद से पूछते हैं. हम इस बारे में सोचते हैं कि हम जो कर रहे हैं इससे जनता को, सरकार को फायदा होता है या नहीं. इसरो का काम सिर्फ रॉकेट उड़ाना नहीं है. 24 सेटेलाइट हैं अंतरिक्ष में हमारे. बड़ा कम्यूनिकेशन इनफ्रास्ट्रक्चर बनाया है हमने. करीबन 200 ट्रांसपॉन्डर हैं जिनके जरिए मछुआरों की मदद हो रही है. उन्हें समुद्र में किस जगह पर ज्यादा मछली मिलेगी, इसकी जानकारी उपलब्ध कराते हैं हम.
हम गलत अवधारणा में हैं कि इसरो का काम सिर्फ रॉकेट उड़ाना है. बल्कि हम जो काम करते हैं वो सीधे या फिर परोक्ष तौर पर देश की सरकार और जनता के हित में काम आता है. इसरो द्वारा भेजा गया रॉकेट और सेटेलाइट लोगों को रोटी देने का काम भी करता है. किसी किसान या फिर मछुआरे से पूछिए.
वैज्ञानिक समझ को बढ़ाने के साथ तकनीकी बेहतरी पर इसरो ने बहुत कुछ किया है. मिशन टू मून हो या मिशन टू मार्स, इसरो ने सिर्फ ये दो काम ही नहीं किए. हमने स्ट्रेटजिक मूवमेंट में भी अहम भूमिका निभाई है.
1960 से आज तक यही पूछा जाता है कि भारत जैसे गरीब देश को स्पेस में एयरक्राफ्ट भेजना चाहिए या नहीं? हर प्रोजेक्ट के साथ यही सवाल उठता है. ये सवाल उठते रहेंगे. पर मैं भी एक सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या भारत जैसे देश को स्पेस साइंस में इनवेस्ट नहीं करना चाहिए, जो सुपरपावर बनना चाहता है?
फसलों से बेहतर उपज, तूफान की जानकारी, इस तरह की अहम जानकारियां जुटाने में हमारे सेटेलाइट काम में आ रहे हैं. तूफान फेलिन की जानकारी इनसेट सेटेलाइट से मिली. करीब 400 से ज्यादा तस्वीरें हमें मिलीं जिसके जरिए हजारों जानें बचाई जा सकीं. हमारे पास रॉकेट होने चाहिए क्योंकि सेटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजना है. भूख मिटाना जरूरी है पर स्पेस साइंस को नजरअंदाज नहीं कर सकते. आखिरकार ये भी तो रोटी देने में मदद करता है.'
(इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में Rockets vs Rotis में इसरो प्रमुख डॉ.के राधाकृष्णन के व्याख्यान के अंश)
'इसरो में ये सवाल हमलोग हर दिन खुद से पूछते हैं. हम इस बारे में सोचते हैं कि हम जो कर रहे हैं इससे जनता को, सरकार को फायदा होता है या नहीं. इसरो का काम सिर्फ रॉकेट उड़ाना नहीं है. 24 सेटेलाइट हैं अंतरिक्ष में हमारे. बड़ा कम्यूनिकेशन इनफ्रास्ट्रक्चर बनाया है हमने. करीबन 200 ट्रांसपॉन्डर हैं जिनके जरिए मछुआरों की मदद हो रही है. उन्हें समुद्र में किस जगह पर ज्यादा मछली मिलेगी, इसकी जानकारी उपलब्ध कराते हैं हम.
हम गलत अवधारणा में हैं कि इसरो का काम सिर्फ रॉकेट उड़ाना है. बल्कि हम जो काम करते हैं वो सीधे या फिर परोक्ष तौर पर देश की सरकार और जनता के हित में काम आता है. इसरो द्वारा भेजा गया रॉकेट और सेटेलाइट लोगों को रोटी देने का काम भी करता है. किसी किसान या फिर मछुआरे से पूछिए.
वैज्ञानिक समझ को बढ़ाने के साथ तकनीकी बेहतरी पर इसरो ने बहुत कुछ किया है. मिशन टू मून हो या मिशन टू मार्स, इसरो ने सिर्फ ये दो काम ही नहीं किए. हमने स्ट्रेटजिक मूवमेंट में भी अहम भूमिका निभाई है.
1960 से आज तक यही पूछा जाता है कि भारत जैसे गरीब देश को स्पेस में एयरक्राफ्ट भेजना चाहिए या नहीं? हर प्रोजेक्ट के साथ यही सवाल उठता है. ये सवाल उठते रहेंगे. पर मैं भी एक सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या भारत जैसे देश को स्पेस साइंस में इनवेस्ट नहीं करना चाहिए, जो सुपरपावर बनना चाहता है?
फसलों से बेहतर उपज, तूफान की जानकारी, इस तरह की अहम जानकारियां जुटाने में हमारे सेटेलाइट काम में आ रहे हैं. तूफान फेलिन की जानकारी इनसेट सेटेलाइट से मिली. करीब 400 से ज्यादा तस्वीरें हमें मिलीं जिसके जरिए हजारों जानें बचाई जा सकीं. हमारे पास रॉकेट होने चाहिए क्योंकि सेटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजना है. भूख मिटाना जरूरी है पर स्पेस साइंस को नजरअंदाज नहीं कर सकते. आखिरकार ये भी तो रोटी देने में मदद करता है.'
(इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में Rockets vs Rotis में इसरो प्रमुख डॉ.के राधाकृष्णन के व्याख्यान के अंश)
निसंदेह विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान हर लिहाज से समाज को लाभ देते रहेंगे. लेकिन क्या इन उपलब्धियों को ठेठ राष्ट्रवाद के रंग में रंगना सही होगा? या ऐसा दिखाना जैसे कि हम किसी कम्पटीशन में हों और अव्वल आना हमारी प्राथमिकता हो? मुझे तो लगता है कि विज्ञान मानव कल्याण का वैश्विक विचार है जिसको राष्ट्र के फ्रेम में जकड़ना सही नहीं.
जवाब देंहटाएंnice blog
जवाब देंहटाएंविनोदजी बिलकुल सही कह रहे है। मैं इनसे पूरी तरहसे सहमत हूं।
जवाब देंहटाएंविनोदजी बिलकुल सही कह रहे है। मैं इनसे पूरी तरहसे सहमत हूं।
जवाब देंहटाएंसामंजस्य जरुरी है ..वरना जिस तेजी से आज विज्ञान के मिशन अनाप शनाप और होड़म होड़ दागे जा रहे हैं , जल्द ही संकट पैदा कर देंगे .मानव को ही गायब होना पड़ जास़येगा अस्तित्व से
जवाब देंहटाएंThis is really awesome... I like your post and looking forward to it..
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