दुनियाभर में लोकतंत्र और आजादी पसंद करने वालों के हीरो बन चुके जूलियन असांज आज बेखौफ पत्रकारिता की एक मिसाल बन चुके हैं। केन्या में हुई एक एक्स्ट्राज्यूडीशियल राजनीतिक हत्या में लिप्त हत्यारों का खुलासा करने पर 2009 में असांज को पत्रकारिता का पहला अवार्ड एमनेस्टी इंटरनेशनल मीडिया अवार्ड मिला था। असांज अब उस पड़ाव से काफी आगे निकल आए हैं। ज्यादातर वक्त भूमिगत रहने वाले विकीलीक्स के एडीटर-इन-चीफ जूलियन असांज के इन खुलासों ने 1970 के दशक में राष्ट्रपति निक्सन की नींव हिला देने वाले वॉटरगेट स्कैंडल की यादें ताजा कर दी हैं। उस वक्त वॉशिंगटन पोस्ट के रिपोर्ट्स कार्ल बर्नस्टाइन और बॉब वुडवर्ड ने इस केस की छानबीन में उसी निर्भीकता का परिचय दिया था, जैसा कि असांज आज कर रहे हैं। इंटरनेशनल मीडिया विकीलीक्स खुलासों का अंजाम वॉटरगेट स्कैंडल के नतीजों में तलाश रही है। हाल के खुलासे जो लगातार जारी हैं, इतने गंभीर हैं कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की कुर्सी जाने के कयास लगा रही है। पेश है जूलियन असांज के जीवन और भंडाफोड़ करने वाली उनकी वेबसाइट के काम करने के तौर-तरीकों और तकनीक पर ‘वॉयेजर’ की ये खास रिपोर्ट। इस रिपोर्ट की शुरुआत, न्यू साइंटिस्ट के रिपोर्टर डेवि़ड कॉन के अनुभवों से कर रहे हैं, जो उन्हें स्वीडन में जूलियन असांज से मुलाकात के वक्त हुए थे।
जूलियन असांज से पहली मुलाकात
'जल्दी करें, वर्ना आप उन्हें मिस कर देंगे', प्रेस ऑफीसर की इस तेज आवाज के साथ ही हमारे कदमों की रफ्तार तेज हो गई। मैं और मेरे साथ कुछ चुनिंदा रिपोर्टर यूनाईटेड किंगडम के होटल ऑक्सफोर्ड के एक गलियारे से गुजर रहे थे। हम सबकी निगाहें ऑस्ट्रेलियाई हैकर और भांडाफोड़ करने वाली वेब साइट विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज को तलाश कर रहीं थीं। यहां हम उनके ही बुलावे पर एक छोटी अनौपचारिक सी प्रेस कांफ्रेंस में उनसे सवाल-जवाब करने आए थे। जल्दी ही हम एक खुले अहाते में पहुंचे जहां लाल चमड़े की आर्मचेयर पर बैठे असांज नजर आ गए, आगे बैठने की होड़स में कुछ स्थानीय पत्रकार उन्हें घेरे हुए थे। असांज काफी परेशान से नजर आ रहे थे, उनके हाव-भाव किसी भगोड़े के जैसे लग रहे थे, उन्होंने बोलना शुरु किया लेकिन कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, क्योंकि उनका उच्चारण साफ नहीं था। असांज रुक-रुक कर बोल रहे थे, मानो बोलने से पहले हर शब्द को तौल रहे हों।
असांज इस साल अप्रैल से लाइमलाइट में आए, जब उनकी साइट विकीलीक्स ने 2007 में अमेरिकी सेना के हाथों इराकी नागरिकों के नरसंहार की वीडियो क्लिप जारी की थी। हैरानी की बात थी, कि न्यूज एजेंसी रायटर्स सूचना की स्वतंत्रता वाले अमेरिकी कानून के जरिए इन घटनाओं के क्लासीफाइड ऑफीशियल डॉक्यूमेंट्स और वीडियो हासिल करने की कोशिश में लगातार तीन साल से जुटी थी। लेकिन असांज के नेतृत्व में कुछ अज्ञात से कार्यकर्ताओं के जरिए चलाए जा रहे विकीलीक्स नाम के एक छोटे से गुमनाम संगठन ने ये सब हासिल करके मानो क्रांति ही कर दी, सिटीजन जर्नलिस्ट की परिकल्पना सही मायनों में साकार हो उठी, हां ये बात अलग है कि इस दुस्साहसी गुट की जुर्रत ने अमेरिकी सरकार को दांत पीसने पर मजबूर कर दिया। “क्या आपको अमेरिका से किसी किस्म का खतरा महसूस होता है,” एक पत्रकार ने सवाल किया।
“अमेरिकी सरकार के कुछ अधिकारियों ने निजी तौर पर कुछ गैरजिम्मेदाराना बयान दिए हैं,” असांज ने जवाब दिया।
“गैरजिम्मेदाराना बयानों से आपका क्या मतलब है ?”
“ऐसे बयान जिनसे जाहिर होता है कि वो कानून की कद्र नहीं करते।”
असांज ने बताया कि उनकी जिंदगी को अमेरिका से कोई सीधा खतरा तो नहीं है, लेकिन वहां के एक खोजी रिपोर्टर दोस्त की सलाह पर उन्होंने कुछ दिन बाद होने वाला अपना अमेरिका दौरा स्थगित कर दिया है।
अफगान वॉर डायरी लीक
असांज से मेरी इस छोटी सी मुलाकात का ये वाक्या जुलाई का है और इस मुलाकात के दस दिन बाद ही विकीलीक्स पर ‘अफगान वॉर डायरी’ लीक हुई और जूलियन असांज की शोहरत रातों-रात आसमान चूमने लगी। अफगान वॉर डायरी यानि 91,000 दस्तावेजों में दर्ज अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी जंग की हर स्याह-सफेद सच्चाई जैसे के तैसे दुनिया के सामने थी। इनमें अफगानिस्तान में अमेरिका के हर जंग और हर दांव-पेंच का गहराई से जिक्र था। विकीलीक्स ने अफगान वॉर डायरी के केवल 75,000 के करीब दस्तावेज ही प्रकाशित किए, बाकी के दस्तावेज सुरक्षा कारणों से रोक लिए गए। विकीलीक्स के साथ अफगान वॉर डायरी के पन्ने द गार्जियन, डेर स्पीगेल और न्यूयार्क टाइम्स में एकसाथ प्रकाशित हुए थे। एक खास रणनीति के तौर पर असांज, अपनी वेबसाइट पर अफगान वॉर डायरी लीक करने से करीब छह हफ्ते पहले ही इन अखबारों को ये दस्तावेज उपलब्ध करा चुके थे। ये रणनीति बड़ी कारगर साबित हुई और असांज और उनकी वेबसाइट विकीलीक्स देखते ही देखते अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छा गए। अफगान वॉर डायरी लीक होने के बाद तमाम प्रमुख अखबारों के पहले पन्ने अमेरिकी प्रतिक्रिया से रंग उठे, जिनमें नाटो सेना के साथ सहयोग कर रहे अफगानों की जान खतरे में आ जाने की बात कही गई थी।
हालांकि अफगान वॉर डायरी में अफगानिस्तान में जारी आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी जंग के तमाम संवेदनशील ब्योरे तफसील से दर्ज थे। लेकिन इनसे इस जंग के बारे में लोगों की सोंच में बदलाव नहीं आया, बल्कि सबका ध्यान इन गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने के तरीके पर ही केंद्रित होकर रह गया। यूनिवर्सिटी आफ कैंब्रिज के कंप्यूटर सेक्योरिटी रिसर्चर रॉस एंडरसन कहते हैं, “विकीलीक्स ने सरकार को ये बात अच्छी तरह से समझा दी है कि किसी चीज पर गोपनीयता की मुहर लगाकर उसे लोगों की नजरों से दूर कर देना कोई समाधान नहीं है।”
तकनीक का असली बदलाव
असली बदलाव क्या आया है? विकीलाक्स और भांडाफोड़ करने वाली ऐसी दूसरी एजेंसियां हमेशा ये तय कर सकती हैं कि उन्हें क्या चीज लीक करनी है और सबसे बड़ा बदलाव ये है कि विकीलीक्स दुनियाभर के सामने अपनी सूचनाओं को एक ऐसे सिस्टम पर प्रकाशित और प्रोत्साहित कर सकती है जिसपर एकबार प्रकाशन के बाद जिसमें बदलाव करना, उसे हटाना लगभग असंभव है। आखिर ऐसा सिस्टम आया कहां से?
असांज ने विकीलीक्स की स्थापना 2006 में की थी। इससे दुनियाभर के सिटीजन जर्नलिस्टों और भांडाफोड़ करने वाले कार्यकर्ताओं को अपनी सूचनाएं लोगों तक पहुंचाने का जरिया मिल गया। असांज कहते हैं, “विकीलीक्स एक तकनीकी, कानूनी और राजनीतिक औजार का एक मिला-जुला रूप है। ” अपनी स्थापना के बाद से विकीलीक्स बहुत से हाई-प्रोफाइल लीक्स को अंजाम दे चुका है, इनमें केन्या की सरकार में भ्रष्टाचार को उजागर करने से लेकर ब्रिटिश नेशनल पार्टी के सदस्यों की लिस्ट और बदनाम ग्वांटानामो-बे जेल का ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स मैनुअल तक शामिल हैं। लेकिन इस साल हुए विकीलीक्स के लीक्स वाकई बेमिसाल रहे हैं। जूलियन असांज का जीवन
जूलियन असांज का जन्म ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के टाउन्सविले में 39 साल पहले हुआ था। असांज के माता-पिता एक थियेटर ग्रुप में काम करते थे, लेकिन असांज के जन्म के कुछ दिन बाद ही मां-बाप में अलगाव हो गया। असांज ने जब होश संभाला तो उन्होंने अपने मां-बाप को अदालत में उनकी कस्टडी लेने के लिए झगड़ते हुए देखा। इसके बाद मां ने दूसरी शादी कर ली और घर में असांज का एक सौतेला भाई भी आ गया। लेकिन दूसरे पिता का साया भी जल्दी ही सर से उठ गया। इसके बाद मां दोनों बेटों को सीने से लगाए यहां-वहां इस डर से छिपती फिरती रही कि असांज के पहले पिता कहीं उसे छीनकर न ले जाएं। असांज को बचपन का एक हिस्सा गुमनामी में लगभग भूमिगत रहकर गुजारना पड़ा। हालात इतने बदतर थे कि 14 साल के होते-होते असांज अपनी मां के साथ 37 बार शहर और घर बदल चुके थे। इन हालातों में असांज की ज्यादातर शिक्षा घर में ही हुई, जिसमें असांज की दिलचस्पी साइंस और गणित में ज्यादा थी। टीन एज में असांज की दिलचस्पी कंप्यूटर्स में हुई और जल्दी ही वो मशहूर हैकर बन गया। 1980 में असांज इंटरनेशनल सबवर्सिव्स नाम के एक हैकर ग्रुप के सबसे कम उम्र के सदस्य बन चुके थे। कम उम्र का ये हैकर तमाम सरकारी और कारोबारी सर्वर्स में आराम से घुसपैठ कर लेता था। जल्दी ही ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने असांज को गिरफ्तार कर लिया और 20 साल से कम उम्र में ही असांज अदालत में हैकिंग के जुर्म में मुकदमे का सामना कर रहे थे।
जिंदगी के दोराहे पर असांज
अदालत ने उन्हें सजा दी, लेकिन अच्छे बर्ताव की वजह से वो जल्दी ही जेल से रिहा हो गए। असांज अब ऐसे दोराहे पर थे जब एक रास्ता अपराध की ओर जा रहा था और दूसरा सामान्य जिंदगी की ओर। उन्होंने इन दोनों रास्तों को छोड़कर अपने लिए एक तीसरा रास्ता तैयार किया, जिसमें अपराधी दिमाग की खुराफात तो थी लेकिन उसका इस्तेमाल आम लोगों के नुकसान के लिए नहीं था।
1989 में असांज अपनी गर्लफ्रैंड के साथ पति-पत्नी की तरह रहने लगे। उनके एक बेटा भी हुआ, लेकिन 1991 में हैकिंग के एक मामले में पुलिस ने जब उनपर छापा मारा तो उनकी गर्लफ्रैंड बेटे को लेकर उनसे अलग हो गई। असांज की जिंदगी जहां से शुरू हुई थी वहीं वापस आकर ठहर गई। असांज जब छोटे थे तब उन्होंने अपने लिए अपने मां-बाप को अदालत में झगड़ते देखा था, अब वो खुद अपने बेटे की कस्टडी पाने के लिए अदालत में अपनी गर्लफ्रेंड से झगड़ रहे थे।
असांज केस हार गए, लेकिन इस हार से उनकी दिलचस्पी सामान्य जिंदगी में बढ़ गई। असांज एक बदलाव के लिए वियतनाम के दौरे पर निकल गए, वहां उन्होंने अमेरिकी हमले और फौजी ज्यादतियों के निशान भी देखे। यहां से असांज के भीतर एक स्वयंसेवक का जज्बा पैदा हुआ। वियतनाम से लौटकर एक नई शुरुआत करने के लिए असांज ने मेलबर्न यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और 2003 से 2006 तक उन्होंने फिजिक्स और मैथमैटिक्स की ग्रैजुएशन पढ़ाई भी की लेकिन वो अपनी डिग्री पूरी नहीं कर सके। लेकिन यूनिवर्सिटी के माहौल ने उनके विचारों को राजनीति और कुछ कर गुजरने के लिए संस्कारित किया और उनके भीतर दबा हुआ क्रांतिकारी का जज्बा आकार लेने लगा। 2006 वो वक्त था जब अपने जैसे समान विचारों वाले कुछ युवाओं के साथ मिलकर उन्होंने विकीलीक्स की स्थापना की। इस साइट की होस्ट एक स्वीडिश इंटरनेट प्रोवाइडर कंपनी थी। स्वीडन का चुनाव इसलिए किया गया, क्योंकि इस देश के कानून पोल खोलने वाले स्वयंसेवकों को एक तरह की सुरक्षा प्रदान करते हैं।
विकीलीक्स की तकनीक
शुरुआत में विकीलीक्स की टीम ने दुनियाभर की वेबसाइट्स खंगालकर उनके डेटा को अपनी साइट में डालना शुरू किया। इसके बार मदद ली गई पियर-टू-पियर नेटवर्क की, जिसपर सेंसरशिप लगाना वर्चुअली असंभव है। पियर-टू-पियर यानि पी-टू-पी वही वर्चुअल नेटवर्क है जिससे दुनियाभर में इंटरनेट से फिल्में मुफ्त में डाउनलोड की जाती हैं। लेकिन ये सब करते हुए असांज की टीम ने अपनी पहचान छिपाए रखने पर भी पूरा ध्यान दिया। विकीलीक्स ने अपने सोर्सेज की पहचान छिपाने के लिए एक ऐसे सिस्टम पर आधारित नेटवर्क का सहारा लिया जिसे ‘टोर’ कहा जाता है। ‘टोर’ ओनियन राउटिंग के ही आगे का संस्करण है जिसे अमेरिकी नौसेना के खुफिया विभाग ने दुनियाभर में काम कर रहे अपने एजेंटों से इंटरनेट पर गोपनीय बातचीत करने के लिए विकसित किया था। इस नेटवर्क के सभी संदेश खुफिया कोड में होते हैं, जिन्हें आम संदेशों की तरह पढ़ा नहीं जा सकता।
यूनिवर्सिटी आफ कैंब्रिज के कंप्यूटर सेक्योरिटी रिसर्चर रॉस एंडरसन बताते हैं, “ मजे की बात ये है कि अमेरिकी सरकार ने जिस सिस्टम को अपनी खुफियागिरी के लिए विकसित किया था, आज वही उसका शिकार बनकर रह गया है।”
सवाल ये कि जूलियन असांज और मुट्ठीभर हैकर्स की उनकी गुमनाम टीम किसी सूचना की पड़ताल कैसे करती है? असांज इसका जवाब देते हैं, “ विकीलीक्स पर कोई सूचना डालने से पहले उसकी गहराई से पड़ताल की जाती है और हर तरह से तसल्ली कर ली जाती है कि जो सूचना दी जा रही है वो असली है या नहीं। हम अपने सोर्स से संपर्क करते हैं और जैसा कि इराक नरसंहार वीडियो के मामले में हमने किया, हमने वीडियो और दस्तावेज देने वाले सोर्स से उस वक्त के जमीनी हालात की छोटी से छोटी तमाम जानकारियां लीं और उन्हें दूसरे सोर्स के जरिए से कन्फर्म किया। अब तक की अपनी जानकारी के हिसाब से हम पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि हमने कोई भी जाली सूचना विकीलीक्स पर प्रकाशित नहीं की है।”
जो चीज स्पष्ट नहीं है, वो ये कि आखिर ये कौन तय करता है कि कौन सी सूचना विकीलीक्स पर प्रकाशित करनी है और कब ? असांज इस सवाल का कोई जवाब नहीं देते कि उनका संगठन काम कैसे करता है। ये भी हैरानी की बात है, कि लोकतंत्र और पारदर्शिता की मशाल उठाने वाले संगठन के कामकाज के तौर-तरीकों पर इतनी गोपनीयता क्यों बरती जा रही है ? और इसका मकसद क्या है ? विकीलीक्स वेबसर्वर के जरिए मैंने अपने स्तर पर ये पड़ताल करने की कोशिश की और विकीलीक्स के एक स्वयंसेवक से संपर्क किया, उसने मुझे बताया कि पांच स्वयंसेवकों की एक कोर कमेटी विकीलीक्स का कंटेंट तय करती है और साइट पर क्या प्रकाशित होगा और क्या नहीं ये तय करने का अधिकार काफी हद तक असांज के पास ही है।
अदभुत लेख दुनिया में केवल सबसे बड़ी चीज़ सत्य है और कुछ नहीं , सत्य सभी को पता चाहिए और अगर ज़ुल्म को सबके सामने लाना सत्य ही का दूसरा रूप है
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