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गुरुवार, 21 नवंबर 2013

रॉकेट पर भारत की उड़ान की गोल्डन जुबली

21 नवंबर को भारत अपने पहले राकेट के प्रक्षेपण की स्वर्ण जयंती क्षणों में प्रवेश कर गया। यहां समीप के तटीय थुम्बा गांव में देश के अंतरिक्ष अभियान ने निर्णायक कदम उठाया था जिसकी परिणति आज चंद्रयान और मंगल अभियान के रूप में हमारे सामने हैं ।

उस वक्त नारियल के पेड़ों के झुरमुट के बीच थुम्बा में बस एक ही लांच पैड हुआ करता था। इस रॉकेट की लांचिंग के लिए वैज्ञानिकों ने लांच पैड के करीब मौजूद एक कैथोलिक चर्च सेंट मैरी मैगेडलेन को मुख्यालय के तौर पर इस्तेमाल किया था। बिशप के घर को रॉकेट तैयार करने वाली वर्कशॉप में तब्दील कर दिया गया था।

मवेशियों को बांधने वाली छायादार जगह को लैबोरेटरी बना दिया गया था, जहां अब्दुल कलाम आजाद जैसे नौजवान वैज्ञानिकों ने काम किया। ऐसी लैब और वर्कशॉप में तैयार देश के पहले रॉकेट के अलग-अलग हिस्सों को साइकिल पर लादकर लांच पैड तक पहुंचाया गया था।

इस उनींदे से गांव के आधुनिक भारत का प्रतीक बन जाने का सपना किसी ने नहीं देखा था लेकिन 21 नवंबर 1963 को यहीं से भारत ने अपना पहला अमेरिका निर्मित राकेट प्रक्षेपित किया और यह गांव रातोंरात सुखिर्यों में आ गया।

दूसरा रॉकेट, जिसे कुछ वक्त बाद लांच किया गया, वो आकार में कुछ बड़ा और वजनी था और इसे लांच पैड तक पहुंचाने के लिए बैलगाड़ी की मदद ली गई थी।  पहले रॉकेट लांच के बाद अगले 12 साल के भीतर भारत ने 350 से ज्यादा साउंडिंग रॉकेट्स बनाए और लांच किए।

बाद में इसे थुम्बा इक्वाटोरियल राकेट लांच स्टेशन (टीईआरएलएस) का नाम दिया गया लेकिन कुछ समय बाद इसे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) कहा जाने लगा। इसरो के इस प्रमुख सेंटर का नामकरण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर किया गया।

वो साराभाई ही थे जिन्होंने युवा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की एक टीम को एकत्र कर मिशन की खातिर प्रशिक्षण के लिए अमेरिका भेजा था। उनके द्वारा भर्ती किए गए शुरूआती वैज्ञानिकों में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी थे।

केंद्र सरकार ने अंतरिक्ष कार्यक्रम में पहला कदम अगस्त 1961 में उठाया था और परमाणु उर्जा विभाग को अंतरिक्ष शोध तथा बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग की जिम्मेदारी सौंपी थी।

1962 में साराभाई की अध्यक्षता में अंतरिक्ष शोध पर एक राष्ट्रीय समिति गठित की गयी जिसने मिशन को आगे बढ़ाया और अगले वर्ष 21 नवंबर को देश ने पहले अमेरिका निर्मित नाइके अपाचे राकेट को थुम्बा से प्रक्षेपित किया।

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