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बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

खतरनाक होता ई-कचरा

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की संचालन परिषद की बैठक के दौरान जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि अगले 10 सालों में भारत, चीन और अन्य विकासशील देशों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बिक्री बहुत तेजी से बढ़ेगी। इस तरह इनसे निकलने वाले -कचरे का पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, इस समय भारत में फ्रिज से 100,000 टन, टीवी से 275,000 टन, कंप्यूटर से 56,300 टन, प्रिंटर से 4,700 टन और मोबाइल फोन से 1,700 टन -कचरा हर साल निकलता है। अनुमान है कि 2020 तक पुराने कंप्यूटरों की वजह से इलेक्ट्रॉनिक कचरे का आंकड़ा भारत में 500 फीसदी और दक्षिण अफ्रीका चीन में 200 से लेकर 400 फीसदी तक बढ़ जाएगा।
2020
तक भारत में मोबाइल फोन से निकला -कचरा 2007 की तुलना में 18 फीसदी और चीन में सात फीसदी अधिक होगा। साथ ही चीन और भारत में टीवी के -कचरे में डेढ़ से दोगुना तक का इजाफा होगा जबकि रेफ्रिजरेटर से निकलने वाला इलेक्ट्रॉनिक कचरा दो से तीन गुना तक बढ़ जाएगा। भारत में असंगठित रूप से रिसाइकलिंग करने वाले लोग सोने जैसी धातु हासिल करने के लिए ज्यादातर -कचरा जला देते हैं। इससे काफी मात्रा में विषैली गैसें निकलती हैं। इस प्रदूषण के खतरे की तुलना में प्राप्त धातुओं की कीमत हालांकि बहुत कम होती है।

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