
2005 में नासा के एम्स रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक क्रिस मैक्के और फ्रांस की इंटरनेशनल स्पेस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक हीथर आर.स्मिथ ने पता लगाया था कि अगर वाकई टाइटन की झीलों में ऐसे बैक्टीरिया मौजूद हैं, तो यकीनन उन्हें सांस लेने के लिए हाइड्रोजन गैस की और खाने के लिए ऑर्गेनिक मॉलीक्यूल एसिटलीन की जरूरत पड़ती होगी और इस प्रक्रिया में मीथेन बनता होगा। इन वैज्ञानिकों ने अपनी इस गणना के आधार पर टाइटन पर जीवन का एक मॉडल बनाया था। जिसके मुताबिक टाइटन पर एसिटलीन की कमी होगी और टाइटन के धरातल के आसपास की हवा में हाइड्रोजन की मात्रा भी काफी कम होगी। क्योंकि टाइटन के बैक्टीरिया जैसे जीव इनका इस्तेमाल कर रहे होंगे।
अब कसीनी ने क्रिस और हीथर के इस मॉडल की भविष्यवाणी की पुष्टि कर दी है, जिसका सीधा इशारा ये है कि हो सकता है कि टाइटन पर जिंदगी, बैक्टीरिया के रूप में मौजूद हो।
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