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रविवार, 6 जून 2010

हां, मंगल और टाइटन पर जीवन संभव है !

टोरोंटो यूनिवर्सिटी के तहत काम करने वाले कनाडा की नेशनल रिसर्च कौंसिल के मैकगिल के नेचुरल रिसोर्सेज विभाग और सर्च फॉर एक्सट्रा टेरेस्ट्रियल इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने बैक्टीरिया की ऐसी प्रजाति खोज निकाली है जो मीथेन को खाकर जिंदा रहती है। शनि के चंद्रमा टाइटन पर जीवन की संभावनाओं के नजरिए से देखें तो ये खोज काफी महत्वपूर्ण है। इसकी वजह ये कि टाइटन हमारे सौरमंडल की ऐसी अनोखी जगह है जहां बादलों से मीथेन बरसता है और जहां की लंबी-चौड़ी झीलें मीथेन से लबालब भरी हैं। लंबे वक्त से ये संभावना जताई जा रही थी कि मीथेन की इन झीलों में बैक्टीरिया की शक्ल में जीवन मौजूद हो सकता है।
धरती पर मीथेन खाने वाले बैक्टीरिया की अनोखी खोज वैज्ञानिकों ने कनाडा के उत्तरी छोर पर मौजूद एक्सेल हीबर्ग द्वीप पर की है। मैक्कगिल यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. लाइल व्हाइट बताते हैं कि ये बैक्टीरिया इस द्वीप की बर्फीली जमीन के भीतर मौजूद नमी से भरपूर एक गड्ढ़े में मिले हैं। कभी मंगल ग्रह पर भी जमीन के भीतर ऐसी नम जगहें थीं, इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि तब वहां ऐसे बैक्टीरिया जैसे जीव भी जरूर मौजूद रहे होंगे। ये भी संभव है कि मंगल की जमीन के नीचे नम और मीथेन से भरपूर ऐसी जगहें अब भी मौजूद हों, जहां बैक्टीरिया की शक्ल में जिंदगी पनप रही हो।
उत्तरी कनाडा के द्वीप एक्सेल हीबर्ग की बर्फीली जमीन के भीतर मौजूद इस गड्ढ़े का तापमान शून्य से नीचे है। यहां पानी भी है, लेकिन वो इतना खारा है कि तापमान इतना कम होने पर भी वो जम नहीं पा रहा। इस गड्ढ़े के नम किनारों पर मीथेन के बुलबुले लगातार बन रहे हैं और मीथेन के इन्हीं बुलबुलों पर मीथेन खाने वाले ये खास बैक्टीरिया मजे से जिंदगी गुजार रहे हैं। डॉ. व्हाइट ने कहा हमें सबसे ज्यादा हैरानी इस बात से हुई कि जमीन के भीतर इस बर्फीले माहौल में हमें ऐसा कोई बैक्टीरिया नहीं मिला जो दूसरी चीजें खाकर मीथेन का उत्पादन कर रहा हो। मीथएन बनाने वाले बैक्टीरिया बेहद आम हैं और धरती के कई इलाकों में पाए जाते हैं। लेकिन यहा हमें बिलकुल नए तरह के बैक्टीरिया मिले जो सल्फेट में सांस लेते हैं और मीथेन को खाते हैं।

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