हमारे सौरमंडल में ही एक नए ग्रह के मौजूद होने की संभावना है। ये दावा किया है यूनिवर्सिटी आफ लुसियाना के एस्ट्रोफिजिसिस्ट जॉन मैटेसे और डेनियल व्हिटमायर ने। इन वैज्ञानिकों का दावा है कि हमारे सौरमंडल का ये नया ग्रह बृहस्पति से भी चार गुना विशाल होगा। यूनिवर्सिटी आफ लुसियाना के एस्ट्रोफिजिसिस्ट जॉन मैटेसे और डेनियल व्हिटमायर का दावा है कि हमारे सूरज से 22500 करोड़ किलोमीटर दूर, बर्फीले मलबे और करोड़ों धूमकेतुओं से भरी सौरमंडल की बाहरी सीमा ओर्ट्स क्लाउड में मौजूद हो सकता है हमारे सौरमंडल का ये नया ग्रह जिसका कामचलाऊ नाम इन वैज्ञानिकों ने रखा है – टाइकी।
सौरमंडल से बाहर अब तक हम 500 नए ग्रहों की खोज कर चुके हैं। प्लूटो की खोज के 81 साल बाद भी शायद अपने सौरमंडल से हमारी जान-पहचान अधूरी है। नासा ने दिसंबर 2009 को स्पेस ऑब्जरवेटरी वाइड फील्ड इंफ्रारेड एक्सप्लोरर यानि वाइस को लांच किया था। स्पेस ऑब्जरवेटरी वाइस का मकसद ये पता लगाना था कि हमारी धरती के आस-पास छोटे आकार वाली कितनी उल्काएं और धूमकेतु मौजूद हैं और उनके गुजरने का रास्ता क्या है।
सौरमंडल से बाहर अब तक हम 500 नए ग्रहों की खोज कर चुके हैं। प्लूटो की खोज के 81 साल बाद भी शायद अपने सौरमंडल से हमारी जान-पहचान अधूरी है। नासा ने दिसंबर 2009 को स्पेस ऑब्जरवेटरी वाइड फील्ड इंफ्रारेड एक्सप्लोरर यानि वाइस को लांच किया था। स्पेस ऑब्जरवेटरी वाइस का मकसद ये पता लगाना था कि हमारी धरती के आस-पास छोटे आकार वाली कितनी उल्काएं और धूमकेतु मौजूद हैं और उनके गुजरने का रास्ता क्या है।
उल्काओं और धूमकेतुओं के सर्वे के दौरान वाइस ने हमारे सौरमंडल की बाहरी सीमा यानि ओर्ट्स क्लाउड रीजन पर भी की इंफ्रारेड निगाह डाली है। एस्ट्रोफिजिसिस्ट जॉन मैटेसे और डेनियल व्हिटमायर का दावा है कि स्पेस ऑब्जरवेटरी वाइस के डेटा में यहां एक नए बृहस्पति की मौजूदगी के संकेत मिलने की पूरी संभावना है। दरअसल जॉन और डेनियल 12 साल से ओर्ट्स क्लाउड से आने वाले धूमकेतुओं का अध्ययन कर रहे हैं। इस दौरान इन्होंने पता लगाया कि इस इलाके से सौरमंडल के भीतर आने वाले धूमकेतुओं का रास्ता गणितीय गणना वाले परिक्रमा पथ से मेल नहीं खा रहा है। इससे ये वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि ओर्ट्स क्लाउड रीजन में बृहस्पति से भी विशाल कोई ऐसा विशाल पिंड मौजूद हो सकता है, जिसके गुरुत्वाकर्षण की वजह से जब धूमकेतु इसके करीब से गुजरते हैं तो वो अपने तय रास्ते से विचलित हो जाते हैं।
एस्ट्रोफिजिसिस्ट जॉन मैटेसे और डेनियल व्हिटमायर का दावा है कि सौरमंडल का ये नया बृहस्पति - टाइकी 22500 करोड़ किलोमीटर के विशाल परिक्रमा-पथ से सूरज की परिक्रमा कर रहा है। संभावना ये भी जताई जा रही है कि ये नया बृहस्पति टाइकी दरअसल किसी दूसरे सूरज का ग्रह था, जो वहां से छिटकने के बाद हमारे सूरज के गुरुत्वाकर्षण बल से खिंचकर यहां आ गया है।
वैज्ञानिकों को इंतजार है अप्रैल महीने का जब इंफ्रारेड स्पेस ऑब्जरवेटरी वाइस के डेटा सार्वजनिक किए जाएंगे। इसके बाद जमीन पर मौजूद दूसरी ऑब्जरवेटरीज इन डेटा की जांच करेंगी। कड़ी जांच-पड़ताल के बाद ही अंतिम तौर पर फैसला लिया जाएगा कि ओर्ट्स क्लाउड रीजन में वाकई कोई नया बृहस्पति मौजूद है या नहीं। और अगर वाकई बृहस्पति जैसा ग्रह मौजूद है इस सबसे बड़ी खोज का आधिकारिक नाम क्या रखा जाए और इसका दर्जा क्या हो, ये तय करने की जिम्मेदारी निभाएगा इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन। ये बात तय है कि अगर एस्ट्रोफिजिसिस्ट जॉन मैटेसे और डेनियल व्हिटमायर का दावा सच साबित हुआ तो ग्रहों के बारे में हमारी अवधारणा में एक बहुत बड़ा बदलाव आ जाएगा और दुनियाभर के स्कूलों में साइंस की किताबों में एक बार फिर संशोधन करना पड़ेगा।
(संपादक - ये समाचार टाइम और इंडिपेंडेट में प्रकाशित रिपोर्टो पर आधारित है। इस संबंध में वॉयेजर एस्ट्रोफिजिसिस्ट जॉन मैटेसे और डेनियल व्हिटमायर से संपर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश कर रहा है। इन वैज्ञानिकों का जवाब मिलते ही प्रकाशित किया जाएगा। बृहस्पति के चार गुना विशाल गैस जाइंट का होना असंभव नहीं है। 2008 में नीदरलैंड्स के चार अंडरग्रैजुएट छात्रों ने सौरमंडल से बाहर एक मैसिव गैस जाइंट प्लेनेट की खोज की थी। इस नए ग्रह का वैज्ञानिक नाम OGLE2-TR-L9b रखा गया और गैस जाइंट हमारे बृहस्पति से पांच गुना विशाल था। दरअसल कोई ग्रह कितना विशाल हो सकता है ये उसके सितारे के द्रव्यमान पर निर्भर करता है। आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाओं के लिए हृदय से धन्यवाद, कृपया वॉयेजर को अपना समर्थन जारी रखें।)
यह खबर भ्रामक है! मीडीया द्वारा वैज्ञानिक तथ्यो की पूरी तरह से समझ नही होने का प्रमाण है।
जवाब देंहटाएंThe article in The Independent talks about this, saying:
But scientists now believe the proof of its existence has already been gathered by a Nasa space telescope, Wise, and is just waiting to be analysed.
The first tranche of data is to be released in April, and astrophysicists John Matese and Daniel Whitmire from the University of Louisiana at Lafayette think it will reveal Tyche within two years. "If it does, John and I will be doing cartwheels," Professor Whitmire said. "And that’s not easy at our age."
कृपया पहली पंक्ति पर ध्यान दे, यह नही कह रहा है कि यह ग्रह है, इसका अर्थ यह होना चाहिये कि इस ग्रह के होने का प्रमाण वाइज के आंकड़ो मे हो सकता है। इन आंकड़ो के विष्लेषण के लिये २ वर्ष लग सकते है।
आंकड़ो के विश्लेषण के बाद पता चलेगा कि यह ग्रह है या नही !
दूसरी तथ्य कि यह ग्रह बृहस्पति से चार गुणा बड़ा कहा जा रहा है जो कि असंभव है। बृहस्पति से आकार मे बड़ा ग्रह नही हो सकता, यदि इसमे और द्रव्यमान डाला जाये तो इसका घनत्व बढेगा, आकार वही रहेगा।
अभी तक ब्रम्हांड मे सौर मंडल के बाहर जीतने भी ग्रह खोजे गये है वे बृहस्पति से कुछ(< १०%) बड़े है।
ज्यादा तथ्यो के लिये देंखे :
http://blogs.discovermagazine.com/badastronomy/2011/02/14/no-theres-no-proof-of-a-giant-planet-in-the-outer-solar-system/
बृहस्पति से चार गुणा बड़ा ग्रह क्यों नही हो सकता (विकीपीडीया के अनुसार)
जवाब देंहटाएंTheoretical models indicate that if Jupiter had much more mass than it does at present, the planet would shrink. For small changes in mass, the radius would not change appreciably, and above about four Jupiter masses the interior would become so much more compressed under the increased gravitation force that the planet's volume would decrease despite the increasing amount of matter. As a result, Jupiter is thought to have about as large a diameter as a planet of its composition and evolutionary history can achieve.
यह ग्रह है या नहीं, यह तो दो साल में तय हो पाएगा, लेकिन निश्चित तौर पर यह एक बहुत बडी चीज़ है, जो अब तक हमारी जानकारी से बाहर रही थी. बडी खोज है, लेकिन कितनी बडी, यह तो वक्त ही बताएगा.
जवाब देंहटाएं- विवेक गुप्ता
संदीप जी,
जवाब देंहटाएंआपने इस आलेख को सम्पादित कर और सुचनाये जोड़ी, धन्यवाद !
मेरी टिप्पणी में "बृहस्पति से बड़ा ग्रह नहीं हो सकता !" में मेरा अर्थ है आकार में ! द्रव्यमान में बृहस्पति से कई गुना बड़े ग्रह संभव है ! जब हम विशाल शब्द का प्रयोग करते है तब हमारा आशय आकार से होता है, द्रव्यमान के लिए सामान्यत भार का प्रयोग होता है.
इसी विषय पर मैंने यहाँ पर एक लेख लिखा था : क्या सौर मंडल मे बृहस्पति से चार गुणा बड़े ग्रह की खोज हो गयी है ?
मेरी टिप्पणीयो को अन्यथा ना ले, मेरा और आपका उद्देश्य एक ही है. विज्ञान की नयी सूचनाओ को हिन्दी में उपलब्ध करना.
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आपका
आशीष