वॉयेजर जब लांच किया गया वो जमाना ग्रामोफोन और उनके
एलपी रेकार्ड्स का था। वॉयेजर को बृहस्पति और शनि की दुनिया में झांकते हुए और भी आगे
का सफर तय करना था, ऐसे में स्पेस मिशन्स के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने और वॉयेजर
मिशन को मानवता का अग्रदूत बना देने के लिए महान एस्ट्रोफिजिसिस्ट डॉ. कार्ल सगान ने
दोनों वॉयेजर स्पेसक्राफ्ट्स में सोने से बना एक खास एलपी रेकार्ड रखवाया। इस रेकार्ड
का मकसद ये था कि अगर वॉयेजर स्पेसक्राफ्ट कभी किसी अनजान सभ्यता या फिर भविष्य के
मानवों के संपर्क में आता है तो उन्हें पृथ्वी पर मौजूद जीवन के हजारों स्वरूपों और
सांस्कृतिक विविधता का परिचय मिल सके।
दोनों वॉयेजर प्रोब्स के साथ भेजे जाने वाले इस सोने
के रेकार्ड में क्या-क्या चीजें संग्रहीत की जाएं इसका चयन नासा की एक समिति ने किया
खुद डॉ. कार्ल सगान जिसके अध्यक्ष थे। डॉ. सगान और उनके सहयोगियों ने दुनिया की करीब
हर सभ्यता का परिचय देती हुई 116 तस्वीरें जमा कीं, इनमें ब्लैक एंड व्हाइट और रंगीन
दोनों ही शामिल हैं। इनमें से कुछ तस्वीरें वैज्ञानिक महत्व की हैं, इनमें गणित और
भौतिकी के फॉर्मूले, सौरमंडल और मानव डीएनए, गर्भ में बच्चे को सहेजे एक मां और एक
पुरुष के रेखाचित्र, बच्चे को दूध पिलाती मां, खाते-पीते हुए लोग और इतना ही नहीं कोलकाता
में लगा एक ट्रैफिक जाम, ताजमहल और चीन की दीवार की तस्वीरें भी इस रेकार्ड के लिए
चुनी गईं। सागर की उफनती लहरों, बहती हुई हवा, कड़कती हुई बिजली, पक्षियों का चहचहाना,
व्हेल का खास गीत, धड़धड़ाती गुजरती रेलगाड़ी जैसी कई आवाजें रेकार्ड की गईं। दुनियाभर
की 55 भाषाओं में परग्रहीय सभ्यता के लोगों के नाम शुभकामना संदेश भी रेकार्ड किए गए।
इसमें हिंदी समेत गुजराती, राजस्थानी, उर्दू, तमिल और कन्नड़ जैसी भारतीय भाषाएं भी
शामिल हैं। विश्व के सार्वकालिक महानतम संगीतकारों और गायकों की संगीत रचनाएं भी शामिल
की गईं। हमारे लिए गर्व की बात ये है कि वॉयेजर के इस गोल्डेन रेकार्ड में विश्व के
महान संगीतकारों बीथोवन, गुआन पिंघु, मोजार्ट, स्ट्राविंस्की, नेत्रहीन विली जॉनसन
और चक बेरी जैसे श्रेष्ठ संगीतकारों के साथ महान भारतीय गायिका केसरबाई केरकर का शास्त्रीय
गायन भी शामिल किया गया। इसके अलावा इस रेकार्ड में तात्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी
कार्टर और संयुक्तराष्ट्र महासचिव कर्ट वाल्धीम का संदेश भी शामिल किया गया। अंतरिक्ष
के विस्तार के सामने वॉयेजर स्पेसक्राफ्ट्स का आकार काफी छोटा है, इसलिए इस बात की
संभावना काफी कम है कि वॉयेजर की मुलाकात किसी परग्रहीय बौद्धिक सभ्यता से कभी होगी,
और अगर ये मुलाकात हो भी जाए तो उस अनजान सभ्यता के लोग इस गोल्डेन रेकार्ड को प्ले
करके पृथ्वी के जीवन और सांस्कृतिक विविधता की झलक पा सकेगा। डॉ. कार्ल सगान ने इसके
बारे में लिखा है, “ किसी अनजान सभ्यता से वॉयेजर की मुलाकात हो और वो लोग हमारे गोल्डेन रेकार्ड
को प्ले करके सुनें, ऐसा केवल तभी मुमकिन है, जब इस अनंत अंतरिक्ष में भ्रमण करने वाली
परग्रहीय बौद्धिक सभ्यताओं का अस्तित्व वाकई में हो। मानवता के इस संदेश को वॉयेजर
की ‘बोतल’ में बंद कर अंतरिक्ष
के ‘महासमुद्र’ में प्रवाहित करने
का काम भी इस ग्रह के जीवन के बारे में एक नई उम्मीद जगाता है। इसलिए सबसे अच्छा ये
है कि वॉयेजर के इस रेकार्ड को किसी परग्रहीय बौद्धिक सभ्यता से संपर्क की कोशिश समझने
के बजाय इसे एक टाइम कैप्स्यूल या फिर मानव सभ्यता का एक प्रतीकात्मक वक्तव्य समझा
जाए।”
सारे देश मिलकर प्रतिवर्ष एक स्पेसक्राफ्ट अन्तरिक्ष भेजना शुरू कर दें.उन सभी में आधुनिक उपकरण भी रखे जायें . सबकी दिशा अलग अलग हो. तो हो सकता है कि कभी कुछ नया घटित हो जाए .....
जवाब देंहटाएंकार्ल सगान ने इस लेख के अंतिम लाइन में जो लिखा है वह अत्यधिक महतवपूर्ण है की इस उम्मीद में मत रहो की रेकॉर्ड कभी किसी को मिलेगा तो क्या होगा यह सोचो की की किसी को नहीं भी मिला हमने ऐसा क्या छोड़ दिया जिससे कोई पा ही ले ऐसी आशा है. इतने बड़े ब्रह्माण्ड में इसकी क्या विषात है?????
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