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रविवार, 3 जनवरी 2010

एंटी सेटेलाइट वीपन

भारतीय रक्षा वैज्ञानिक एक ऐसा सिस्टम बना रहे हैं जो दुश्मन के सैटलाइटों को अंतरिक्ष में ही मार गिराएगा। डीआरडीओ के महानिदेशक वी. के. सारस्वत ने 97वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस तकनीक का तैयार करने के लिए जरूरी तत्व बनाए जा रहे हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि रक्षा वैज्ञानिकों ने इस तकनीक का परीक्षण करने की फिलहाल कोई योजना नहीं बनाई है लेकिन इस तरह की टेक्नॉलजी की योजना बनानी शुरू कर दी गई है, जिसका इस्तेमाल देश में एक हथियार विकसित करने में किया जा सकता है। रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार की जिम्मेदारी निभा रहे सारस्वत ने बताया कि वैज्ञानिक ऐसा हथियार तैयार करने की प्लानिंग कर रहे हैं, जिससे धरती की लोअर कक्षाओं और ध्रुवीय कक्षा में उपग्रहों पर निशाना साधकर उन्हें नष्ट किए जा सकेंगे। उन्होंने बताया कि आमतौर पर इस तरह की कक्षाओं में नेटवर्क पर केंद्रित लड़ाइयों में इस्तेमाल होने वाले सैटलाइट तैनात रहते हैं। इन्हें निष्क्रिय कर देने से दुश्मन की अपने सैटलाइटों तक संपर्क की क्षमता नष्ट हो जाती है और उसका कम्यूनिकेशन टूट जाता है। सैटलाइट निष्क्रिय करने वाली तकनीक को हासिल करने के लिए बलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम के तहत रॉकेट तैयार किया जा रहा है। जनवरी 2007 में चीन ने इसी तरह के एक परीक्षण में अपने एक सैटलाइट को अंतरिक्ष में ही नष्ट कर दिया था। मौसम संबंधी यह सैटलाइट धरती से 500 मील दूर धरती की कक्षा में चक्कर काट रहा था। भविष्य में अंतरिक्ष में घूमते अपने सैटलाइटों की सुरक्षा करना एक बहुत बड़ा मुद्दा होगा। भारत को इस क्षेत्र में पीछे नहीं रहना है, इसीलिए इस एंटी सैटलाइट तकनीक हासिल करने की दिशा में काम किया जा रहा है। सारस्वत ने बताया कि डीआरडीओ अपनी इंटरसेप्टर मिसाइल का अडवांस्ड वर्जन तैयार कर रहा है, जिसकी रेंज 120 से 140 किलोमीटर तक होगी। इसका सितंबर में परीक्षण होने की उम्मीद है।

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