क्या ये यूएफओ हैं ? लंदन के बिल्डर डेरेक बर्डन की मानें तो हां, ये तस्वीर भी उन्होंने ही खींची है। धरती से परे जीवन है या नहीं ? सदियों पुराने इस सवाल के हालिया संदर्भ देखें तो नासा के केप्लर मिशन ने एक बार फिर इस पुराने सवाल पर नई बहस की शुरुआत की। धरती से परे जीवन पर कुछ भी कहने- न कहने से बचते हुए इसरो ने पृथ्वी की सतह से 40 किलोमीटर ऊपर बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों की मौजूदगी खोजने की घोषणा की। लेकिन साइंस से परे इस सवाल पर अपने ढंग का एक नया एंगिल जोड़ दिया है इस तस्वीर ने।
इस तस्वीर का किस्सा कुछ यूं है कि लंदन के वेस्ट एंड में मौजूद कोवेंट गार्डन इलाके में बिल्डर डेरेक बर्डन 16 मंजिली इमारत के निर्माण का काम देख रहा था। वाक्या 14 मार्च का है, और उस दिन 40 साल का ये बिल्डर अपनी निर्माणाधीन इमारत ओरियन हाउस की 16वीं मंजिल पर मौजूद था, और उसकी घड़ी लंदन की सुबह के साढे आठ बजा रही थीं। बर्डन कुछ सामान के आने का इंतजार कर रहा था इसलिए वक्त काटने के लिए वो अपने मोबाइल कैमरे से इस ऊंचाई से लंदन स्काई का पैनोरमा शॉट लेने लगा। बर्डन ये शॉट अपनी पत्नी साराह के लिए ले रहा था, जो लंदन से दूर रहती थी। उस दिन और कुछ नहीं हुआ, बर्डन ने फोटोग्राफ्स लिए और फिर अपने काम में खो गया।
घर जाकर जब उसने ये फोटेग्राफ्स अपनी पत्नी साराह को दिखाए तो साराह ने इन तस्वीरों में मौजूद यूएफओ जैसी आकृतियों को पहली बार पहचाना। साराह ने पूछा कि आसमान के दाईं ओर ये लाइट्स जैसी क्या चीज नजर आ रही है ? बर्डन का कहना है कि वो खुद यूएफओ के वजूद पर यकीन नहीं रखता लेकिन ये फोटोग्राफ देखकर वो भी हैरत में पड़ गया। उसने बताया कि मुझे नहीं पता कि ये यूएफओ जैसी नजर आ रही चीजें क्या हैं, मैंने इन तस्वीरों से जरा भी छेड़छाड़ नहीं की है और ये वैसी ही हैं जैसाकि उस दिन आसमान नजर आ रहा था। क्या ये प्रकाश के परावर्तन का कमाल है ? अगर हां, तो सवाल ये कि प्रकाश आखिर किस चीज से परावर्तित हो रहा था, खैर इतना जरूर है कि इस तस्वीर ने यूएफओ के वजूद को लेकर एक बहस फिर से छेड़ दी है।
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