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रविवार, 14 जून 2009

"सोनिक ब्लैक होल" की शानदार खोज

सेर्न के लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर में प्रोटॉन्स की टक्कर से ब्लैक होल के बनने की आशंका, फिल्म एंजेल्स एंड डिमॉन्स ने पर्दे पर सही साबित कर दिया है। ये बात अलग है कि एलएचसी में पहला प्रयोग फेल हो जाने के बाद दोबारा प्रयोग शुरू करने में अभी काफी वक्त है। लेकिन इस बीच वैज्ञानिकों को प्रयोगशाला में ब्लैक होल उत्पन्न करने में कामयाबी मिल गई है। ये बात अलग है कि ये ब्लैक होल असली ब्लैक होल जैसा खतरनाक नहीं है...और हमारी धरती सुरक्षित है।
स्टीफन हॉकिंग का सिद्धांत बताता है कि ब्लैक होल से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन की एक तेज जेटधारा सी निकलती है। ब्लैक होल से फूटने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन की इस तेज जेटधारा को उन्हीं के नाम पर हॉकिंग रेडिएशन का नाम दिया गया। हॉकिंग के इस सिद्धांत के 35 साल हो गए, लेकिन अब तक किसी ने ब्लैक होल से फूटनेवाली इस रेडिएशन को डिटेक्ट नहीं किया। लेकिन अब इस्राइल के वैज्ञानिकों की एक टीम एक ऐसे तरीके को खोजने में जुटी हैस जिससे प्रयोगशाला में ही एक आर्टीफीशियल ब्लैकहोल उत्पन्न कर उससे ह़किंग रेडिएशन को पैदा किया जा सके।
फिजिक्स की वेबसाइट arxiv.org की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों साइंटिस्टों की ये टीम पदार्थ की एक खास स्थिति, जिसे बोस-आईंस्टीन कंडेन्सेट ( बीईसी) कहते हैं, उसमें सोनिक वेव्स यानि तीव्र ध्वनि तरंगे भेजकर प्रयोगशाला में ही एक आर्टीफीशियल ब्लैक होल बनाने की कोशिशों में जुटी है। बोस-आईंस्टीन कंडेन्सेट या बीईसी पदार्थ की वो गैसीय स्थिति है जो एब्सोल्यूट जीरो के करीब हिमांक तापमान पर पाई जाती है। इस्राइली वैज्ञानिकों की टीम ने खास तौर पर चुनी गई ध्वनि तरंगों के इस्तेमाल से बोस-आईंस्टीन कंडेन्सेट में एक ऐसा क्षेत्र पैदा करने में सफलता हासिल की है, जिससे प्रकाश भी बाहर नहीं निकल सकता। ये एक महान खोज है, क्योंकि दुनिया में पहली बार "सोनिक ब्लैक होल" को बनाने में कामयाबी मिली है। दुनिया का पहला "सोनिक ब्लैक होल" प्रयोगशाला में बनाने में वैज्ञानिकों को 30 साल लग गए। यहां तक तो सफलता मिल गई, लेकिन असली ब्लैक होल से फूटती हॉकिंग रेडिएशन ती तीव्र जेटधारा को आंखों के सामने घटित होता देखना अभी बाकी है। इस्राइली टीम को उम्मीद है कि "सोनिक ब्लैक होल" से भी हॉकिंग रेडिएशन की जेटधारा ठीक उसी तरह फूट निकलेगी जैसे कि असली ब्लैक होल में होता है। "सोनिक ब्लैक होल" की कामयाबी से वैज्ञानिकों की टीम बेहद उत्साहित है और इस ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल करने के लिए प्रयोग में जुटी है।

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