नासा के गुरुत्वाकर्षण मिशन गोस ( GOCE) ने पता लगाया है कि गुरुत्वाकर्षण बल का वितरण पूरी धरती पर एकसमान नहीं है। गोस ने गुरुत्वाकर्षण बल के वितरण के आधार पर धरती का एक खास नक्शा तैयार किया है। इसके मुताबिक गुरुत्वाकर्षण की सबसे बड़ी हलचल का केंद्र भारतीय महाद्वीप ही है। भारत में जैसे-जैसे आप दक्षिण की ओर जाते हैं, धरती के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव में कमी आने लगती है। लेकिन इसका ये मतलब कतई नहीं है कि आप हवा में तैरने लगेंगे। दक्षिण भारत में गुरुत्वाकर्षण बल में कमी आपको अपने वजन में गिरावट के रूप में महसूस होगी।
मिशन गोस ने श्रीलंका से आगे, हमारे हिंद महासागर में एक ऐसी जगह खोजी है, जहां से अगर आप गुजरेंगे तो आपका वजन अचानक काफी कम हो जाएगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि हिंद महासागर के बीचोबीच, ये वो जगह है, जहां धरती के गुरुत्वाकर्षण में एक बड़ा छेद मौजूद है। ये खबर अपने आप में बिल्कुल नई और अनोखी है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के बारे में हमेशा से ये माना जाता था कि पूरी धरती का गुरुत्वाकर्षण लगभग एक सा ही है।
नासा के गुरुत्वाकर्षण मिशन गोस से मिले डाटा से धरती के गुरुत्वाकर्षण में छेद की खोज की है कैलीफोर्निया इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने। वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती के गुरुत्वाकर्षण में छेद की वजह ये है कि धरती की ऊपरी पर्त की दो प्लेटें, हिंदमहासागर के बीचोबीच से एक-दूसरे को नीचे धकेलते हुए धरती के कोर में समाती जा रही हैं। वैज्ञानिक गुरुत्वाकर्षण में छेद के असर का पता लगाने में जुटे हैं।
यह एक अजीब खोज है। गुरुत्वाकर्षण के कारणों पर फिर से विचार करना पड़ेगा और साबित करना पड़ेगा कि इस छेद का कारण क्या है?
जवाब देंहटाएंsir i wana b astronoid ,,,,,, i m persuing m,sc in geology
जवाब देंहटाएं......आश्चर्यजनक...!
जवाब देंहटाएंमगर वैज्ञानिक हर स्थिति के लिए मानसिक रूप से तैयार रहता है.... पूर्व निर्धारित उत्तर नहीं कारगर नहीं भी हो सकते