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सोमवार, 19 जुलाई 2010

‘सलाखों से झांकता चंद्रमा’



चंद्रमा का ये अब तक बनाया गया सबसे कल्पनाशील, सबसे भावुक और सबसे शानदार स्केच है। क्योंकि इस स्केच को एक 14 साल के बच्चे ने तब बनाया था जब मानव जाति एक बहुत बड़ी त्रासदी से गुजर रही थी और ये त्रासदी थी दूसरे विश्वयुद्ध की। इस तस्वीर की कहानी शुरू होती है अक्टूबर 1942 में नाजी जर्मनी के आतंक के साये में कांपते चेकोस्लोवाकिया के छोटे से शहर टेरेजिन से बाहर बनाए गए यातना शिविर से ....जर्मन सेना यहूदी परिवारों को उनके घरों से जबरदस्ती निकाल-निकालकर इस यातना शिविर में धकेल रही थी। टेरेजिन के यातना शिविर में कैद इन्हीं लोगों में शामिल था 14 साल का एक यहूदी बच्चा पीटर गिन्ज ...यातना शिविर में धकेल दिए जाने के बावजूद पीटर की कल्पनाशीलता कम नहीं हुई। ऐसे वक्त में जबकि उसके चारों ओर सिवाय जोर-जबरदस्ती और खून-खराबे के कुछ और नहीं था, पीटर धरती से बाहर एक खूबसूरत दुनिया की कल्पना किया करता और मौका मिलते ही उसके स्केच बनाने लगता। उस यातना शिविर में यहूदियों का बैरक कुछ ऐसी स्थिति में था कि जब भी पूर्णिमा होती तो पूनम का पूरा चांद सलाखों जड़ी खिड़की से झांकने लगता।
सलाखों से झांकते पूरे चंद्रमा का नजारा पीटर को रोमांच से भर देता और वो उसे तब तक देखता रहता जब तक कि चंद्रमा खिड़की से हट नहीं जाता। अपनी कल्पना में उड़ान भर कर वो कई बार चंद्रमा पर गया और वहां से अपनी धरती-अपना घर देखता...धरती, जहां लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं, और इंसान इंसान से ही जीने का हक छीन रहा है... पीटर गिन्ज ने अपनी कल्पना में चांद की जमीन पर बैठकर धरती की एक तस्वीर बनाई....ये वही स्केच है, जिसे पीटर ने पेंसिल से बनाया था। इस तस्वीर को बनाने के दो साल बाद 16 साल के पीटर को ऑस्कविट्ज के बदनाम नाजी यातना शिविर में भेज दिया गया...जहां नाजियों ने उसे और उसके जैसे बहुत से बच्चों को गैस चैंबर में धकेलकर मार डाला।
दुनिया में शांति स्थापित करने के साथ मानवता के विकास के नए दरवाजे खोलना ही साइंस और अंतरिक्ष अभियानों का मकसद है....इसलिए उस यहूदी बच्चे पीटर गिन्ज की बनाई इस तस्वीर को नासा ने मिशन एसटीएस 107 के साथ अंतरिक्ष भेजा था...और इस तस्वीर को अपने साथ अंतरिक्ष ले गए थे इस्राइल के पहले अंतरिक्षयात्री इलान रामोन। इस सफर में कल्पना चावला भी उनके साथ थीं। वापसी में उनका स्पेस शटल कोलंबिया दुर्घटनाग्रस्त हो गया और मिशन एसटीएस-107 के सातों अंतरिक्षआत्रियों के साथ उस यहूदी बच्चे पीटर गिन्ज का बनाया ये स्केच भी नष्ट हो गया। जब भी पूर्णिमा हो, तो पूनम के पूरे चंद्रमा को देखने की कोशिश कीजिए, क्योंकि ये पीटर गिन्ज की दुनिया है, और शायद मिशन एसटीएस 107 के सातों अंतरिक्षयात्रियों के साथ पीटर अब भी उजले चंद्रमा की किसी गुफा में मौजूद है।
(मिशन अपोलो-11 की 41वीं वर्षगांठ पर 'वॉयेजर' की विशेष प्रस्तुति)

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