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शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009

वेलकम, कॉमेट लुलिन !


हमारे सौरमंडल में घूमते आवारा धूमकेतुओं में से एक आहिस्ता-आहिस्ता हमारे करीब आ रहा है। नहीं. इससे डरने या घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ये हमले टकराने नहीं जा रहा। इस धूमकेतु यानि कॉमेट का नाम है लुलिन। कॉमेट लुलिन की ये तस्वीर 26 जनवरी को जर्मनी के एस्ट्रोफोटोग्राफर गुंथर स्ट्रॉच ने ब्रोकेन में अपनी घरेलू ऑब्जरवेटरी से ली है। इस तस्वीर में कॉमेट लुलिन का रंग हरा नजर आ रहा है, इसकी वजह ये है कि कॉमेट लुलिन जहरीली गैसों का भंडार है, जिनमें से मुख्य हैं, साइनोजेन और डाईएटॉमिक कार्बन। साइनोजेन और डाईएटॉमिक कार्बन दोनों ही सूरज की रोशनी पड़ने पर हरे रंग से चमकने लगते हैं।1910 में एक खबर ने दुनियाभर में हड़कंप मचा दी थी। ये वो वक्त था जब कॉमेट हेली पृथ्वी के करीब से गुजर रहा था, उस वक्त खबर फैली थी कि साइनोजेन से भरी कॉमेट हेली की पूंछ पृथ्वी के वायुमंडल को इस जहरीली गैस से भरने वाली है। बाद में साबित हो गया कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला। कॉमेट लुलिन के पास हेली की पूंछ से कहीं ज्यादा जहरीली साइनोजन गैस मौजूद है और ये कॉमेट 24 फरवरी को पृथ्वी के करीब से गुजर रहा है। लेकिन इस बार भी घबराने जैसी कोई बात नहीं है, क्योंकि लुलिन की पृथ्वी से करीबी भी हमसे 3 करोड़ 80 लाख मील तक दूर होगी। ये दूरी इतनी है कि 24 फरवरी को भी हम इसे आंखों से नहीं देख पाएंगे, इसे देखने के लिए जरूरत होगी किसी टेलिस्कोप की।

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