हमारी भाषा हिंदी मंगल ग्रह पर मौजूद है, इतना ही नहीं, हाल ही में हिंदी ने मंगल ग्रह पर मौजूदगी के पांच साल भी पूरे कर लिए हैं। मंगल पर हिंदी भाषा ही नहीं, बल्कि भारतीय मिट्टी से ढलकर बनी एक अंतरिक्षयात्री का नाम भी मंगल ग्रह पर मौजूद है और मंगल पर हमारे इस गौरव की मौजूदगी के भी पांच साल पूरे हो चुके हैं। मंगल पर हमारे देश की ये दोनों निशानियां ले गए हैं नासा के जुड़वां रोबो जियोलॉजिस्ट रोवर्स जिनके नाम हैं स्पिरिट और अपॉरचुनिटी। जनवरी 2004 में मंगल की लाल धरती पर सबसे पहले स्पिरिट ने 4 तारीख को लैंड किया और 25 तारीख को अपॉरचुनिटी ने। इन दोनों रोबोट्स को मंगल के दो बिल्कुल विपरीत इलाकों पर लैंड कराया गया था, ताकि मंगल के इन दोनों हिस्सों की ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिल सके। लेकिन इन रोबोट्स जियोलॉजिस्ट्स ने मंगल पर काम करना शुरू किया था 3 फरवरी 2004 को। सबसे हैरानी की बात तो ये कि नासा ने इन रोबोट्स को मंगल पर केवल छह महीने के लिए भेजा था, लेकिन मंगल पर कई शानदार खोज करने के बाद अब स्पिरिट और अपॉरचुनिटी मंगल पर पांच साल पूरे कर चुके हैं। मंगल की लाल जमीन पर दौड़ते फिर रहे रोबो जियोलॉजिस्ट्स स्प्रिट और अपॉरचुनिटी पर एक खास डायल लगा है। इसे स्पेस शटल कोलंबिया हादसे में जान गंवाने वाले अंतरिक्षयात्रियों के सम्मान में लगाया गया है। इस डायल पर कल्पना चावला समेत कोलंबिया मिशन के सातों अंतरिक्षयात्रियों के नाम लिखे हुए हैं। मंगल पर पांच साल से काम कर रहे रोबो जियोलॉजिस्ट्स स्प्रिट और अपॉरचुनिटी के साथ एक सौरघड़ी भी भेजी गई है। इस सौरघड़ी के किनारे ये देखिए हमारी भाषा हिंदी में लिखा इस ग्रह का नाम चमक रहा है, मंगल। इस सौरघड़ी के किनारों पर दुनिया की 24 दूसरी भाषाओं में भी इस ग्रह का नाम लिखा है। मजेदार बात तो ये कि इनमें दो ऐसी भाषाएं भी हैं जिन्हें बोलने वाली सभ्यताएं सदियों पहले खत्म हो चुकी हैं। ये सभ्यताएं हैं सुमेरिया और माया। इन लुप्त भाषाओं को मंगल भेजने की वजह ये है कि इन सभ्यताओं की कलाकृतियों और चित्रों में अंतरिक्ष और किसी दूसरी दुनिया से आए लोगों का जिक्र मिलता है।मंगल पर भारत का कोई मिशन जाने में अभी काफी वक्त है, लेकिन भारतीयता मंगल पर पहुंच चुकी है। खास बात ये कि मंगल पर भारत की निशानियां भेजने में हमारे किसी राजनेता या इसरो का योगदान नहीं है, बल्कि भारतीयता को मंगल पर भेजा है नासा और कारनेल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने।
uttam
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