वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने पृथ्वी का कोर किस दिशा में घूमता है? इस 300 साल पुराने सवाल का जवाब ढूंढ़ निकाला है। वैज्ञानिकों के बनाए नए मॉडल से पता चला है कि ठोस लोहे की बनी पृथ्वी की इनर कोर पूरब की ओर से ‘सुपर रोटेट’ कर रही है। ‘सुपर रोटेट’ का मतलब ये कि इनर कोर की घूमने की रफ्तार पृथ्वी की गति से ज्यादा है। इस मॉडल से ये भी पता चला है कि मुख्यतौर पर पिघले लोहे से बना आउटर कोर अपेक्षाकृत धीमी गति से इनर कोर के विपरीत यानि पश्चिम की ओर से घूम रहा है।
1692 में एडमंड हैले ने पृथ्वी के जियोमैग्नेटिक फील्ड में पश्चिम दिशा को केंद्रित एक ड्रिफ्टिंग मोशन दिखाया था। तब से लेकर अब पहली बार वैज्ञानिक इनर कोर और आउटर कोर के घूमने के तरीकों को लेकर कुछ बता सके हैं। लीड्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि पृथ्वी का जियोमैग्नेटिक फील्ड ही हमारे ग्रह के कोर की इन विरोधी गतियों की वजह है।
लीड्स यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ अर्थ एंड एनवायरमेंट के डॉ। फिलिप लिवरमोर ने बताया कि भूकंप मापने वाले सीस्मोमीटर्स ने ही पहले पहल पृथ्वी की सतह के सापेक्ष ठोस इनर कोर के पूरब की ओर केंद्रित ‘सुपर रोटेशन’ को पहचाना था। न्यूटन के गति के तीसरे नियम की कसौटी पर इसे बराबर और विपरीत क्रिया के तौर पर आसानी से समझाया जा सकता है। इनर कोर पर मैग्नेटिक फील्ड पूरब की ओर केंद्रित नजर आती है, इस वजह से इनर कोर की रफ्तार पृथ्वी की गति से तेज रहती है। लेकिन पूरब की ओर घूमने के क्रम में ठोस इनर कोर अपने चारों ओर मौजूद पिघले आउटर कोर को विपरीत दिशा की ओर ठेलती रहती है, इससे आउटर कोर विपरीत दिशा यानि पश्चिम की ओर केंद्रित होकर घूमता रहता है।
हमारे ठोस इनर कोर का आकार हमारे चंद्रमा जितना है। लेकिन पृथ्वी के केंद्र में मौजूद ये लोहे का ठोस चंद्रमा चारों तरफ से पिघले लोहे के एलॉय से बने आउटर कोर से घिरा है। हालांकि पृथ्वी का इनर कोर हमारे पैरों से 5200 किलोमीटर नीचे है, फिर भी इसकी मौजूदगी प्रभाव पृथ्वी की सतह के लिए विशेषतौर पर महत्वपूर्ण है।
जैसे-जैसे इनर कोर का आकार बढ़ता है, तो ठोस होने की इस प्रक्रिया में हीट रिलीज होती है, जिससे ऊउटर कोर में बिजली पैदा होती है। इस बिजली से ही हमारा मैग्नेटिक फील्ड जन्म लेता है।
पृथ्वी की सतह पर मौजूद जीवन के लिए ये मैग्नेटिक फील्ड सौर विकिरण से सुरक्षा के लिए एक कवच का काम करता है। इसके बगैर पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है।