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मंगलवार, 11 सितंबर 2012

'पेल ब्लू डॉट....'


नासा ने खबर दी है कि 35 साल पहले अंतरिक्ष के सफर पर निकला स्पेसक्राफ्ट ‘वॉयेजर-1’ अब पृथ्वी से 17 अरब 96 करोड़ किलोमीटर से भी दूर जा चुका है। सौरमंडल को पीछे छोड़ गहन अंतरिक्ष में प्रवेश कर चुका ‘वॉयेजर-1’ मानव निर्मित ऐसा अकेला स्पेस प्रोब है जो धरती से सबसे दूर मौजूद है। 1990 में वॉयेजर-1 ने अपना प्राथमिक मिशन पूरा कर लिया था और सौरमंडल से बाहर जाने की तैयारी में था, ऐसे में डॉ. कार्ल सगान के अनुरोध पर नासा ने वॉयेजर-1 का कैमरा पृथ्वी की ओर मोड़ा और पृथ्वी की एक अनोखी तस्वीर ली। वॉयेजर-1 तब धरती से 6 अरब किलोमीटर दूर था और इस रिकार्ड दूरी से अंतरिक्ष के काले महासागर में पृथ्वी एक चमकीले नीले बिंदु की तरह नजर आ रही थी। 6 अरब किलोमीटर की दूरी से ली गई ये पृथ्वी की पहली और अंतिम तस्वीर है। डॉ. कार्ल सगान ने इस तस्वीर को देखा तो वो आध्यात्मिक-दार्शनिक विचारों से भर उठे और उन्होंने इस तस्वीर का नाम रखा ‘पेल ब्लू डॉट’ यानि गहरा नीला बिंदु। इस नाम का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने 1994 में प्रकाशित अपनी किताब का शीर्षक रखा – पेल ब्लू डॉट : ए विजन ऑफ द ह्युमन फ्युचर इन स्पेस। इस किताब में महान एस्ट्रोनॉमर डॉ. कार्ल सगान ने वॉयेजर-1 के कैमरे से ली गई पृथ्वी की इस तस्वीर पर अपने विचार गहराई से व्यक्त किए हैं, वो लिखते हैं –
अंतरिक्ष की इस गहनतम दूरी (6 अरब किलोमीटर) से पृथ्वी शायद कोई खास दिलचस्पी की चीज न लगे। लेकिन हमारे लिए, इसके मायने बिल्कुल अलग हैं। इस तस्वीर में नजर आ रहे इस नीले बिंदु को दोबारा देखिए। ये वहां है। ये हमारा घर है। ये हम हैं। हर वो शख्स जिससे हम मोहब्बत करते हैं, हर वो व्यक्ति जिसे हम जानते हैं, वो हर कोई जिसके बारे में आपने सुना है, वो हर इंसान जो कभी था, उन सबने इसी नीले बिंदु में अपनी उम्र गुजार दी। हमारी सारी खुशियां और तमाम दुख-मुसीबतें, विश्वास से भरे हजारों धर्म, मान्यताएं और आर्थिक नीतियां, हरेक शिकारी और शिकार, प्रत्येक हीरो और कायर, सभ्यताओं को जन्म देने वाला हरेक निर्माता और उन्हें नेस्त-नाबूद कर डालने वाला हरेक हमलावर, हर राजा और उनके गुलाम, प्रेम में डूबे सभी प्रेमी और प्रेमिकाएं, हरेक मां और हरेक पिता, उम्मीदों से भरा हरेक बच्चा, सभी अविष्कारक और खोजी, नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाला प्रत्येक शिक्षक, भ्रष्टाचार में डूबा हरेक राजनेता, हरेक सुपरस्टार, सभी महान लीडर, हरेक साधु और पापी जिनसे मानव सभ्यता के इतिहास के पन्ने भरे हैं, वो सभी सूरज की किरण में तैर रहे धूल के एक कण जैसे नजर आ रहे इस नीले बिंदु में ही जीये और फना हो गए। इस अनंत ब्रह्मांड में पृथ्वी की हैसियत नगण्य है। अब उन सभी बर्बर हमलावरों और जनरल्स के बारे में सोंचिए, जिन्होंने इस बिंदु के सूक्ष्म से हिस्से पर कब्जे की हवस में इंसानियत को शर्मिंदा किया और खून की नदियां बहा डालीं। उस खौफनाक अत्याचार को याद कीजिए जो इस बिंदु के एक सिरे के लोगों ने दूसरे सिरे के लोगों पर किए (यहां डॉ. कार्ल सगान द्वितीय विश्व युद्ध की बात कर रहे हैं)। वो एक-दूसरे के प्रति किस तरह नासमझी से भरे हुए थे, वो एक-दूसरे को मार डालने के लिए कितने उतावले थे, एक-दूसरे के लिए उनकी नफरत कितनी गहरी थी। तमाम तड़क-भड़क और दिखावा, हमारा छिछला अहंकार, ये भ्रम कि ब्रह्मांड में हमें एक विशेष दर्जा हासिल है, इन सब बातों को इस तस्वीर में नजर आ रही नीले रंग की ये बिंदु चुनौती दे रही है। ब्रह्मांड के इस गहन अंधकार में हमारा ग्रह एक अकेले भटकते धूलकण के जैसा है। इस अनंत विस्तार में ऐसा कोई इशारा तक नहीं मिलता कि हमें खुद से ही बचाने के लिए कहीं से कोई मदद आएगी। अब तक पृथ्वी ही केवल ऐसी जगह है, जहां जिंदगी फल-फूल रही है। कम से कम निकट भविष्य में भी ऐसी कोई दूसरी जगह नहीं है, जहां हमारी मानव जाति रहने के लिए जा सके। हां, हम धरती से बाहर कुछ जगहों पर गए जरूर हैं, लेकिन अब तक हम कहीं बस नहीं सके हैं। अब आप इसे पसंद करें, या न करें, लेकिन इस वक्त तो पृथ्वी ही वो जगह है, जहां हम मौजूद हैं, जिंदगी आबाद है। ये कहा जाता है कि एस्ट्रोनॉमी या खगोल विज्ञान विनय प्रदान करने वाला और चरित्र निर्माण करने वाला अनुभव देता है। मानव अहंकार में निहित अज्ञानता को साबित करने के लिए संभवत: इस तस्वीर से बेहतर कोई दूसरा प्रदर्शऩ नहीं हो सकता।
मेरे विचार से, ये तस्वीर हमारी इस जिम्मेदारी को रेखांकित करती है कि हमें एक-दूसरे के प्रति कहीं अधिक नरमी और सहनशीलता के साथ पेश आना चाहिए, ताकि हम इस गहरे नीले बिंदु को, जो कि जिंदगी का एक अकेला घर है, इसे संरक्षित करने के साथ जीने के लायक बनाए रख सकें।

2 टिप्‍पणियां:

  1. संदीप जी, में नील पाठक, प्रथम संस्था में विज्ञानं कार्यक्रम में काम करता हु. प्रथम (www.pratham.org) शिक्षा पर काम करनेवाली भारत के सबसे बड़े संघटन में से एक हे. प्रथम का विज्ञान कार्यक्रम देश के १०० से भी ज्यादा जगह पर 'अनुभव आधारित शिक्षा' तहत अप्पर प्रायमरी के बच्चो के साथ वर्कशॉप, विज्ञान मेले और विज्ञान क्लब चलाता हे. हम बच्चो के लिए तरह तरह का रोचक रीडिंग मटेरियल भी तयार करते हे. ऐसेही अस्ट्रोनोमी के रीडिंग मटेरियल में हम आपके उपरोक्त पोस्ट को शामिल करना चाहते हे. कार्ल सगान ने कही हुई ये बाते बच्चो को पढ़नी चाहिए ऐसा हमें लगता हे. कृपया आपकी पोस्ट का इस्तेमाल करने के लिए हमें इजाजत दे.

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