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बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

चंद्रयान ने खोजी-चांद पर सुरंग

चंद्रमा की सतह पर मध्य रेखा के करीब एक सुरंग मिली है, जो वहां जाने और बसने वाले अंतरिक्षयात्रियों के लिए प्राकृतिक पनाहगाह हो सकती है। इसरो साइंटिस्ट एस. एफ. ए. एस. आर्या के मुताबिक, यह गुफा ज्वालामुखी से बनी एक खाली ट्यूब जैसी है। इसकी लंबाई 2 किलोमीटर और चौड़ाई करीब 360 मीटर है। आर्या इस जानकारी को 1 से 5 मार्च के दौरान ह्यूस्टन में होने वाली समिट में साझा करेंगे। आर्या के मुताबिक, इस सुरंग का पता तब चला जब टीएमसी (टेरियन मैपिंग कैमरा) के आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा था। इस खोज से चंद्रमा पर स्थायी बेस बनाने की भारत की इच्छा पूरी होगी। यह सुरंग भूमिगत चौकी की तरह है। इसकी छत अंतरिक्षयात्रियों को उल्काओं की खतरनाक बारिश, मौसम के असर और तापमान में उतार-चढ़ाव से सुरक्षित रखेगी। चंद्रमा के चमकीले हिस्से वाली सतह पर तापमान आमतौर पर 300 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। चंद्रमा पर न तो एनवायरनमेंट है और न ही धरती जैसा गुरुत्वाकर्षण बल। इसलिए सूरज से निकलने वाली रोशनी अंतरिक्षयात्रियों को नुकसान पहुंचा सकती है। ये तेज रोशनी अंतरिक्षयात्रियों की कोशिकाओं को प्रभावित करती है। इसलिए चांद पर ऐसी जगह की जरूरत है, जो चांद पर अंतरिक्षयात्रियों को सूर्य की रोशनी से बचा सके। ये गुफा उसी काम आ सकती है। चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज के साथ नई तरह की चट्टानों का पता भी लगाया है। अहमदाबाद की फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी में हाल में चंद्रयान पर हुए दो दिन के सम्मेलन में इसकी घोषणा की गई। इन चट्टानों को नासा के उसी मून मिनरॉलजी मैपर (एम3) ने खोजा है, जिसने पानी का पता लगाया था। ये चट्टानें आकार में छोटी हैं। फिलहाल वैज्ञानिक इनका विश्लेषण कर रहे हैं। हालांकि इन चट्टानों में जो खनिज पाए गए हैं, वे पहले की चट्टानों में पाए गए खनिजों की तरह हैं। लेकिन इन चट्टानों में खास बात उन खनिजों का कॉम्बिनेशन है।

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