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रविवार, 25 अप्रैल 2010

नर्मदा की सैर को आते थे एलियन !


नर्मदाघाटी के प्रागैतिहासिक शैलचित्रों के शोध में जुटी एक संस्था ने रायसेन से करीब 70 किलोमीटर दूर घने जंगलों के शैलाश्रयों में मिले प्राचीन शैलचित्रों के आधार पर अनुमान जताया है कि प्रदेश के इस हिस्से में दूसरे ग्रहों के प्राणी "एलियन" आए होंगे। संस्था का मानना है कि आदि मानव ने इन शैलचित्रों में उड़नतश्तरी की तस्वीर भी उकेरी है। पत्थर पर दर्ज आकृति नर्मदा घाटी में नए प्रागैतिहासिक स्थलों की खोज में जुटी सिड्रा आर्कियोलाजिकल एन्वॉयरन्मेंट रिसर्च, ट्राइब वेलफेयर सोसाइटी के पुरातत्वविद् मोहम्मद वसीम खान के अनुसार ये शैलचित्र रायसेन जिले के भरतीपुर, घना के आदिवासी गांव के आसपास की पहाडियों में मिले हैं। इनमें से एक शैलचित्र में उड़नतश्तरी (यूएफओ) का चित्र देखा जा सकता है। इसके पास ही एक आकृति दिखाई देती है, जिसका सिर एलियन जैसा है। यह आकृति खड़ी है। जैसा देखा, वैसा बनाया संस्था के अनुसार प्रागैतिहासिक मानव अपने आस-पास नजर आने वाली चीजों को ही पहाड़ों की गुफाओं, कंदराओं में पत्थरों पर उकेरते थे। ऎसे में सम्भव है कि उन्होंने एलियन और उड़नतश्तरी को देखा हो। देखने के बाद ही उन्होंने इनके चित्र बनाए होंगे। रायसेन के पास मिले शैलचित्र आदिमानव के तत्कालीन जीवन शैली से भी मेल नहीं खाते। खान के अनुसार कुछ इसी तरह के चित्र भीम बैठका और रायसेन के फुलतरी गांव की घाटी में भी मिले हैं। सबसे बड़ा रहस्य दूसरे ग्रहों पर भी जीव होने के अनुमान के आधार पर दुनियाभर में एलियन के अस्तित्व पर शोध हो रहे हैं। विभिन्न देशों में कई बार दूसरे ग्रहों से आने वाली उड़नतश्तरी (अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट) देखे जाने के दावे किए जाते रहे हैं। इसके अलावा, कई बार एलियन को भी देखे जाने के दावे किए जाते रहे हैं। हालांकि, वैज्ञानिक तौर पर अब तक एलियन या उड़नतश्तरी का अस्तित्व साबित नहीं हो पाया है। और शोध की जरूरत इन शैलचित्रों ने शोध की नई और व्यापक सम्भावनाओं को जन्म दिया है। इनका मिलान विश्व के अनेक स्थानों पर मिले शैलचित्रों से भी किया जाएगा। खान का अनुमान है कि दूसरे ग्रहों के प्राणियों का नर्मदाघाटी के प्रागैतिहासिक मानव से कुछ न कुछ संबंध जरूर रहा है। यह संबंध किस प्रकार का था इस पर शोध जारी है। पुरासम्पदा का खजाना कुछ दशक पूर्व जियोलॉजिस्ट डॉ. अरूण सोनकिया ने नर्मदाघाटी के हथनौरा गांव से अति प्राचीन मानव कपाल खोजा था। उसकी कार्बन आयु वैज्ञानिकों ने साढ़े तीन लाख वर्ष बताई है। नर्मदाघाटी का क्षेत्र कई पुरासम्पदाओं का खजाना माना जाता है।

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