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बुधवार, 25 मई 2011

लोग प्रलय, बर्बादी और नरसंहार की बातों में मजा क्यों लेते हैं?


अकसर ये कहा जाता है कि कल की चिंता छोड़ो आज में जियो, ये फलसफा इतना बुरा भी नहीं, साहिर लुधियानवी ने भी खूब कहा है कि आगे भी जाने न तू, पीछे भी जाने न तू, जो भी है बस यही इक पल है...दुनिया में सनसनी थी कि 21 मई को कुछ बुरा घटने वाला है, लोगों से बातचीत के दौरान भी मुझसे कई सवाल पूछे गए कि 21 मी को क्या प्रलय आने वाली है? खास बात ये कि पूछने वालों ने ये सवाल गंभीर मुखमुद्रा के साथ नहीं, बल्कि मुस्कराते हुए पूछा था। दरअसल वो डरे हुए नहीं थे, बल्कि इस सवाल और इस संबंध में होने वाली बातचीत में छिपे रोमांच की कल्पना उनका मनोरंजन कर रही थी। तो क्या लोग प्रलय, धरती का खात्मा, बर्बादी और नरसंहार जैसी चीजों में मजा लेते हैं? 
अमेरिकी क्रिश्चियन रेडियो ब्राडकॉस्टर हैरॉल्ड कैंपिंग ने मई के मध्य में दावा किया कि 21 मई ही वो दिन है जिसे बाईबिल में जजमेंट डे यानि फैसले का दिन कहा गया है। उन्होंने दावा किया कि 21 मई को ईसा मसीह स्वर्ग से धरती आएंगे और प्रलय के साथ लोगों को उनके पापों का दंड देंगे। कैंपिंग का दावा था कि उन्होंने बाईबिल में दर्ज घटनाओं की तारीखों की गहन छानबीन के बाद पता लगाया है कि 21 मई 2011 ही जजमेंट डे है, जब प्रलय के साथ दुष्टों का दमन होगा और ईसाई धरती से ऊपर उठकर आसमान में ईसा मसीह से मुलाकात करेंगे।   
भारत में इस खबर पर शुरुआत में कोई सुगबुगाहट नहीं हुई, लेकिन जैसे-जैसे 21 मई करीब आने लगी लोग इसपर बातें करने लगे। देश के कई शहरों में ईसाइयों ने बकायदा बोर्ड लगाकर इसका प्रचार किया। ये शायद पहली बार हुआ जब दुनिया के खात्मे का बकायदा विज्ञापन किया गया। 19 मई से समाचार चैनल भी इस मुद्दे पर कूद पड़े, और 20 मई की शाम को आज तक भी लोगों को डराने लगा कि कल दुनिया खत्म होने वाली है। 21 मई की सुबह से दोपहर तक ये खबर कई समाचार चैनलों की हेडलाइन में भी थी, लेकिन दोपहर बीतते-बीतते खबर उतर गई। रात 12 बजे के बाद तारीख भी बदल गई और सबकुछ पहले की तरह सही-सलामत रहा। न तो ईसा मसीह आसमान से धरती पर उतरे और न ही किसी ईसाई के आसमान तक उठ जाने की खबर आई।
अगर आप नास्तिक हैं तो कैंपिंग के दावे शुरू से ही आपको एक मजाक लगेंगे, लेकिन अगर आप आस्थावान हैं और ईसाई हैं, तो परेशान होना लाजिमी है। वॉशिंगटन के थिंक-टैंक और स्वतंत्र सर्वे एजेंसी प्यू रिसर्च सेंटर ने कैंपिंग के दावे के बाद अमेरिका में एक सर्वे किया, जिससे पता चला कि अमेरिका में 41 फीसदी लोग यकीन करते हैं कि 2050 से पहले ईसा मसीह धरती पर जरूर लौटेंगे। न्यूयार्क की एक न्यूज वेब साइट के मुताबिक अमेरिकी क्रिश्चियन रेडियो ब्राडकॉस्टर हैरॉल्ड कैंपिंग की 21 मई को प्रलय की भविष्यवाणी के बाद उनके कई समर्थकों ने अपनी तमाम जमीन-जायदाद बेच डाली और नौकरी-कारोबार सब छोड़-छाड़ कर फैसले के दिन यानि 21 मई का स्वागत करने के लिए प्रार्थनाओं में डूब गए।  
आखिर लोग प्रलय यानि दुनिया के खात्मे को लेकर इतने उत्साहित क्यों हैं? ऐसी भविष्यवाणियों में लोगों की गहरी दिलचस्पी का राज क्या है, जिनमें मानव जाति के खात्मे की बातें बढ़ा-चढ़ा कर की जाती हैं? आलोचकों का कहना है कि स्वार्थी तत्व पैसे कमाने के लिए और लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए ऐसी भविष्यवाणियां करते हैं। यकीनन 21 मई को प्रलय की भविष्यवाणी करके बुजुर्ग हैरॉल्ड कैंपिंग और उनके रेडियो स्टेशन को वाकई फायदा हुआ है और वो मशहूर हो गए हैं। लेकिन कनाडा, मॉन्ट्रियल में मौजूद कॉनकॉर्डिया यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर आफ रिलिजन लॉरेन्जो डिटोमासो कहते हैं,'ये लोग अपनी आस्था से छले जाते हैं, वरना ये चीज काम नहीं करती।'
दूसरा सिद्धांत ये है कि प्रलय और दुनिया के खात्मे की भविष्यवाणी हमारी उस तीव्र उत्कंठा की पूर्ति करती है जो अज्ञात को जानने-समझने से संसंधित है। प्रो.डिटोमासो के मुताबिक हमारे आसपास की दुनिया को समझाने का एक ये भी तरीका है जो हममें एक उम्मीद, एक आशा भी पैदा करता है। वो कहते हैं,'अपनी सीमाओं के भीतर प्रलय की अवधारणा काफी तार्किक है। समय, स्पेस और मानव अस्तित्व के संबंध को समझाने का ये एक पौराणिक तरीका है। ये कोई साइंस नहीं है और न ही ये कोई सार्वभौम नियम है जो एक खास अंतराल में खुद को बार-बार दोहराए। लेकिन फिर भी ये कई चीजों की व्याख्या करता है।'
प्रो.डिटोमासो ये भी बताते हैं कि प्रलय की अवधारणा में दिलचस्पी लेने वाले लोगों में दुनिया को जानने-समझने की इच्छा दूसरों के मुकाबले कहीं ज्यादा होती है। ऐसे लोगों में जिंदगी को समझने की जिज्ञासा कहीं ज्यादा होती है। अपनी बात के समर्थन में प्रो. डिटोमासो इसाक न्यूटन का उदाहरण देते हैं, जिन्होंने जिंदगी का ज्यादा हिस्सा बाईबिल में लिखी बातों और भविष्यवाणियों को समझने में बिताया। अमेरिकी क्रिश्चियन रेडियो ब्राडकॉस्टर हैरॉल्ड कैंपिंग ने इससे पहले 1994 में दुनिया के खात्मे और जजमेंट डे की भविष्यवाणी की थी, जो गलत साबित हुई। इसपर कैंपिंग ने तब कहा था कि उनसे कुछ गणितीय भूलें हो गई हैं। इसबार 21 मई के शांति से गुजर जाने के बाद कैंपिंग हैरान हैं कि आखिर दुनिया बच कैसे गई?, मानव जाति का विनाश क्यों नहीं हुआ? और ईसा मसीह स्वर्ग से धरती पर क्यों नहीं आए? अब उन्होंने पापियों के नाश और जजमेंट-डे की नई तारीख बताई है 21 अक्टूबर 2011 और उनका कहना है कि इस बार तो प्रलय आ के रहेगी।
आपको जानकर हैरानी होगी कि हैरॉल्ड कैंपिंग के अनुयायी और उनकी भविष्यवाणी पर यकीन रखने वाले उनसे नाराज नहीं हैं, बल्कि 21 मई को प्रलय न आने पर चैन की सांस के साथ कैंपिंग की भविष्यवाणियों पर उनकी आस्था और भी गहरा गई है। ये अपनेआप में वाकई आश्चर्यजनक है, लेकिन मनोवैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि इस तरह की भविष्यवाणियों के गलत साबित हो जाने के बाद लोगों का यकीन अपने भविष्यवक्ता या गुरु पर और भी मजबूत हो जाता है। मानव मनोविज्ञान की ये आधारभूत गड़बड़ी है जिसे कॉग्निटिव डिसोनेंस कहते हैं।
बहरहाल हैरॉल्ड कैंपिंग के अनुयायी अब 21 अक्टूबर को आने वाली प्रलय की तैयारियों में जुट गए हैं। हमें और आपको इसकी परवाह करने की जरूरत नहीं। हमारे लिए तो साहिर पहले ही कह गए हैं - आगे भी जाने न तू, पीछे भी जाने न तू, जो भी है बस यही इक पल है।
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3 टिप्‍पणियां:

  1. Apka blog padhkar accha laga, Mai Ak bat kahna chahunga, ki हैरॉल्ड कैंपिंग jaise log pagal ya kisi bimari se grasit hain, han duniya khatm hone vali hogi to keval kaiping ke liye, Ham sabke liye nahi.

    Aise logo ko jo sabko darate hain aur apni bato ka jhoota prachar karte hain, ko jail me dal dena chahiye.


    Sani singh Chandel, Allahabad
    www.facebook.com/sanialld

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  2. निष्कपट वैज्ञानिक सोच का विषय है यह!!

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