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रविवार, 22 मार्च 2009

तलाश मंगल पर जीवन की !


मंगल ग्रह अब भी हमारे लिए एक अनसुलझी पहेली जैसा ही है। ये तस्वीर है मंगल पर मौजूद एक पठार की जिससे मीथेन गैस फूट रही है, वैज्ञानिकों का मानना है कि ये पठार दलदली है और इसकी गहराई में बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों के रूप में जिंदगी के निशान मौजूद हो सकते हैं। माना जा रहा है कि मंगल के बैक्टीरिया ही इस पठार से फूटने वाली मीथेन गैस को पैदा कर रहे हैं। मंगल पर इस जैसे तीन दलदली पठार खोजे गए हैं, जिनसे बुलबुले के रूप में मीथेन गैस फूट रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन पठारों से कुछ किलोमीटर नीचे माहौल जरूर कुछ ऐसा होगा जहां अपने तरल रूप में पानी और उसकी नमी में फलते-फूलते बैक्टीरिया मौजूद होंगे।
क्या मंगल पर जीवन है ? हम इस सवाल का जवाब तलाशने में जुटे हैं और अब तक हमें इतना ही पता चला है कि मंगल पर पानी अपने तरल रूप में मौजूद है। हर सुबह मंगल के ध्रुवीय इलाकों पर ओस की चादर बिछ जाती है। यहीं नासा के मिशन फीनिक्स ने हमें पृथ्वी से दूर पहली बार पानी की बूंद की झलक दिखाई थी। फीनिक्स ने हमें ये भी बताया था कि मंगल का पानी थोड़ा खारा है, मंगल की मिट्टी जहरीली नहीं है और करीब पृथ्वी की मिट्टी जैसी ही है, जिसमें पेड़-पौधे उगाए जा सकते हैं। यानि मंगल का माहौल इतना घातक नहीं है कि जीवन वहां पनप ही न सके। मंगल पर जिंदगी के खिलाफ बस दो ही चीजें हैं, एक तो शून्य से नीचे का तापमान और दूसरा सूरज के खतरनाक विकिरण से नहाई मंगल की धरती। हां, मंगल की धरती पर बसने का ख्याल कुछ ठीक नहीं, यहां हमें कई मुश्किलों का सामना करना होगा। लेकिन अगर हम मंगल की धरती के नीचे जाएं तो सारी मुश्किलें आसान होती नजर आती हैं। मंगल की धरती पर धूल-गर्द की ऊपरी पर्त के नीचे कई मीटर मोटी ठोस बर्फ की चादर मौजूद है। विकिरण कोई भी हो, वो बर्फ पर असर नहीं करता, इसलिए बर्फ की इस चादर के नीचे मौजूद मंगल की वो अनदेखी दुनिया सूरज के विकिरण से बेअसर है और यही वजह है कि मंगल पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल पर अगर कहीं जीवन मौजूद है तो वो यहीं होगा।

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